Categories: सियासत

‘योगी सरकार यूपी में गलती पर गलती करती जा रही है’

योगी ने बाबा रामदेव से भी पंगा ले लिया। बीजेपी और मोदी का मुरीद एक बड़ा वर्ग वो है, जो नौकरी से रिटायर हो चुका है, सुबह पार्कों में बाबा रामदेव के योग पर अपने हाथ-पांव हिलाता है।

New Delhi, Jun 06 : संन्यास के साथ-साथ भौतिक जिंदगी में व्यस्त दो संन्यासियों की जंग हो गई। बिजनेस टॉयकून बन चुके बाबा रामदेव को अखिलेश यादव ने मेगा फूड पार्क बनाने के लिए ग्रेटर नोएडा में जमीन दी थी, जिसे योगी सरकार ने निरस्त कर दिया। गुस्से में बाबा रामदेव ने कह दिया है कि फूड पार्क को वे प्रदेश से बाहर ले जाएंगे, जिसका खामियाजा उत्तर प्रदेश के किसानों और जनता को भुगतना पड़ेगा। रामदेव का कहना है कि अगर वो फूड पार्क बनाते तो उससे हजारों लोगों को रोजगार मिलता और किसानों की तमाम फसलें वो सीधे खरीदते तो किसानों को भी फायदा होता। ग्रेटर नोएडा में 425 एकड़ में 6 हजार करोड़ रुपये की लागत से ये फूड कोर्ट बनना था।

एक दिन पहले ही बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह बाबा रामदेव के दिल्ली वाले आश्रम में पहुंचे थे। अमित शाह ने उनके पांव छुए, 2019 के चुनावों में समर्थन मांगा। बाबा रामदेव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शान में कसीदे भी काढ़े। तो फिर ऐसा क्या हुआ, जो बाबा के मेगा फूड कोर्ट की जमीन का आवंटन योगी आदित्यनाथ सरकार ने निरस्त कर दिया।

मामला ये फूड कोर्ट का नहीं है, संकेत तो कहीं और हैं। योगी सरकार यूपी में गलती पर गलती करती जा रही है। जिसके परिणाम भी गोरखपुर, फूलपुर, कैराना और नूरपुर के उपचुनावों में जाहिर हुए हैं। योगी सरकार के पास रोजगार का कोई रोडमैप नहीं है, लेकिन पतंजलि का मेगा फूड पार्क अगर बनता तो रोजगार मिलने का श्रेय योगी को भी मिलता। यूपी में वैसे भी छोटे-बड़े काम-धंधों पर आफत है। रोजगार का सबसे बड़ा असंगठित क्षेत्र छिन्न भिन्न हो गया है।

इस बीच योगी ने बाबा रामदेव से भी पंगा ले लिया। बीजेपी और मोदी का मुरीद एक बड़ा वर्ग वो है, जो नौकरी से रिटायर हो चुका है, सुबह पार्कों में बाबा रामदेव के योग पर अपने हाथ-पांव हिलाता है। घरों में रामदेव के प्रोडक्ट का इस्तेमाल करता है, करवाता है। ये वो वर्ग है, जो योगी से तो नाराज हो सकता है, लेकिन बाबा रामदेव से नहीं। मैं बतौर पत्रकार किसी का पक्षकार नहीं हूं, बाबा रामदेव का बिजनेस प्लान भी समझता हूं, लेकिन एक सच्चाई ये भी है कि मेरे पिताजी 93 साल की उम्र में अगर अपने हाथ पांव पर खड़े हैं तो इसमें बाबा रामदेव के योग का बहुत बड़ा हाथ हैं। बाबूजी आज भी, इस उम्र में भी 2 घंटे रोजाना योग करते हैं। कहने का मतलब ये है कि रामदेव को छेड़कर योगी सरकार ने कहीं एक बड़े वोट बैंक को तो नहीं छेड़ दिया है। रामदेव से योगी का ये पंगा 2019 में बीजेपी पर भारी पड़ सकता है।

(वरिष्ठ पत्रकार विकास मिश्र के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)
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