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अगले भारत रत्न हैं प्रणब मुखर्जी, 2019 चुनाव के पहले की यह एक बड़ी राजनीतिक घटना है

कृपया मुझे यह भी कहने दीजिए कि संघ ने प्रणब मुखर्जी का साथ ले कर कांग्रेस को घेर लेने का शाकाहारी दांव खेल दिया है ।

New Delhi, Jun 08 : लिख कर रख लीजिए 2019 के भारत रत्न हैं प्रणब मुखर्जी । यह बात मैं ने पहले भी लिखी थी । बैलेंस करने के लिए लालकृष्ण आडवाणी का नाम भी इस भारत रत्न में जोड़ लीजिए । बाक़ी एक पुरानी कहावत है सांप भी मर जाए और लाठी भी मर जाए वाली बात प्रणब मुखर्जी ने आज कर दी है । कांग्रेस द्वारा दो बार उन से प्रधान मंत्री की कुर्सी छीन लेने , चिदंबरम द्वारा अपनी जासूसी करवाने का जवाब कांग्रेस को उन्हों ने बिना कुछ कहे बड़ी ख़ामोशी से दे दिया है , साथ ही देश के बंग समाज को बिन कहा संदेश भी दे दिया है । संघ की निंदा भी नहीं की और न ही संघ की तारीफ़ की । लेकिन हिंदू , देश , विविधता में एकता आदि की संघ वाली बातें ज़रूर कह दीं । मुगलों को आक्रमणकारी भी बता दिया ।

कुल मिला कर कांग्रेस , वामपंथियों सहित समूचे प्रतिपक्ष और कठमुल्लों को संघ ने बहुत करीने से मुंह चिढ़ा दिया है । इन सब की बौखलाहट ने भाजपा को एक बड़ा स्पेस भी दे दिया है । परिणाम क्या मिलेगा यह समय बताएगा पर आप मानिए , न मानिए , 2019 के चुनाव के पहले की यह एक बड़ी राजनीतिक घटना है । वहीँ मोहन भागवत ने यह बात भी बहुत धीरे से कह दी है कि हेडगेवार पुराने कांग्रेसी थे और बतौर कांग्रेसी वह आज़ादी की लड़ाई में जेल भी गए । एक कांग्रेसी प्रणब मुखर्जी की उपस्थिति में यह कहना कई संदेश दे गया है । तो वहीँ प्रणब मुखर्जी ने हेडगेवार को भारत का सच्चा सपूत लिख दिया ।

कृपया मुझे यह भी कहने दीजिए कि संघ ने प्रणब मुखर्जी का साथ ले कर कांग्रेस को घेर लेने का शाकाहारी दांव खेल दिया है । कांग्रेस के बहाने प्रतिपक्ष और कठमुल्ले भी निशाने पर है । अब यह अलग बात है कि सब के सब अपनी-अपनी हिप्पोक्रेसी में कैद हैं और प्रणब मुखर्जी को अपने ही पाले में बता रहे हैं । है न दिलचस्प नज़ारा । बहुतै दिलचस्प । आखिर प्रणब मुखर्जी के पास 48 वर्ष का संसदीय अनुभव है । राष्ट्रपति के अलावा वित्त मंत्री , वाणिज्य मंत्री , विदेश मंत्री , भी वह रहे ही हैं । डिप्लोमेसी के आचार्य हैं आख़िर । आचार्य , आचार्य ही रहेंगे ।

अब देखिए न कि प्रणब मुखर्जी के नागपुर जाने का बढ़-चढ़ कर विरोध करने वाली कांग्रेस अब और बढ़-चढ़ कर प्रणब बाबू की तारीफ़ कर रही है , तारीफ़ करते नहीं अघा रही है । खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे वाली कहावत तो आप सब को याद ही होगी । अंधों को हाथी वाली कहावत भी । कोई सूड़ देख रहा है , कोई पूंछ , कोई पांव । कोई कुछ तो कोई कुछ । अजब मंज़र है । कोई गाते-गाते चिल्ला रहा है , कोई चिल्लाते-चिल्लाते गा रहा है ।

(वरिष्ठ पत्रकार दयानंद पांडेय के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)
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