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‘ये मुठभेड़ ऐसे ही चलती रही, तो केजरीवाल सरकार की लोकप्रियता को ठेस पहुंच सकती है’

इसमें शक नहीं कि केजरीवाल सरकार दिल्ली में कई अच्छे काम कर रही है लेकिन उसमें जरुरत से ज्यादा उग्रता है।

New Delhi, Jun 19 : मुझे याद नहीं पड़ता कि पिछले 70 साल में कभी किसी मुख्यमंत्री ने अपने मंत्रियों सहित ऐसा धरना दिया हो, जैसा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आजकल दे रहे हैं। यह धरना उप-राज्यपाल अनिल बैजल के दफ्तर में चल रहा है। अब प्रधानमंत्री निवास पर भी प्रदर्शन हो रहा है। दो मंत्री उपवास पर भी बैठे हुए हैं। चार प्रदेशों के गैर-भाजपाई मुख्यमंत्रियों ने दिल्ली पहुंचकर आम आदमी पार्टी का समर्थन भी किया है।

प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर उन्होंने हस्तक्षेप करने का अनुरोध भी किया है। चारों मुख्यमंत्रियों की यह कार्रवाई एक पंथ तीन काज की तरह है। पहला काज केजरीवाल सरकार का समर्थन, दूसरा काज मोदी विरोधी गठबंधन का ट्रेलर तैयार हो गया और तीसरा काज यह कि वे नीति-आयोग की बैठक में भाग लेने आए थे, वह भी पूरा हो गया। इन मुख्यमंत्रियों को केजरीवाल से मिलने से रोकना बिल्कुल गलत है। इन्होंने उप-राज्यपाल से पूछा ही क्यों ? उनके बयानों ने केजरीवाल के हाथ मजबूत कर दिए लेकिन असली प्रश्न यह है कि इस धरने और भूख-हड़ताल का आयोजन क्यों करना पड़ा है ? दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग तो पहले से चली आ रही है लेकिन इस धरने का असली और तात्कालिक कारण है, दिल्ली प्रशासन के अफसरों का असहयोग !

ये अफसर मुख्यमंत्री और मंत्रियों के आदेशों का पालन नहीं कर रहे। वे उनके पास नहीं जाते। किसी बैठक में नहीं आते। वे सिर्फ लिखा-पढ़ी वाला काम कर रहे हैं। वे ऐसा इसलिए कर रहे हैं कि फरवरी में दिल्ली प्रशासन के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश को पहले तो मुख्यमंत्री के घर देर रात को बुलाया गया और फिर ‘आप’ कार्यकर्त्ताओं ने उनके साथ धुक्का-मुक्की की। मामला अदालत में है लेकिन केजरीवाल का आरोप है कि सारे अफसर भाजपा की शै पर हेकड़ी कर रहे हैं और उप-राज्यपाल अनिल बैजल और प्रधानमंत्री मोदी उन्हें उकसा रहे हैं। हालांकि इसके कोई प्रमाण नहीं हैं लेकिन यह सच भी हो सकता है, क्योंकि भाजपा के नेता दिल्ली की ‘आप’ सरकार के विरुद्ध धरना लगाए हुए हैं।

इसमें शक नहीं कि केजरीवाल सरकार दिल्ली में कई अच्छे काम कर रही है लेकिन उसमें जरुरत से ज्यादा उग्रता है। शीला दीक्षित कांग्रेसी मुख्यमंत्री थीं और उस समय केंद्र में आज की तरह भाजपा सरकार ही थी लेकिन आजकल जैसी नौटंकी चल रही है, वैसी तब चली क्या ? समझ में नहीं आता कि मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ हुए दुर्व्यवहार के लिए माफी मांगने में केजरीवाल का क्या बिगड़ जाएगा ? इससे तो उनका कद ऊंचा ही हो जाएगा। यदि यह मुठभेड़ इसी तरह चलती रही तो प्रशासन ठप्प हो जाएगा और ‘आप’ सरकार की लोकप्रियता को ठोस पहुंच सकती है।

(वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार डॉ. वेद प्रताप वैदिक के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)
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