Categories: वायरल

कश्मीर में सख्त फौजी कार्रवाई करने से कौन रोक रहा है ? ईंट का जवाब पत्थर से क्यों नहीं दे रहे ?

कश्मीर के आतंकवादियों को जो भी मदद कर रहा हो, उसकी जड़ों में जब तक भारतीय फौज मट्ठा नहीं पिलाएगी, उसकी हर पहल, चाहे वह शस्त्र-विराम की हो या संवाद की।

New Delhi, Jun 19 : कश्मीर में शस्त्र-विराम को विराम देकर भारत सरकार ने बिल्कुल ठीक कदम उठाया है। एक महिने तक चले इस एकतरफा शस्त्र-विराम का नतीजा क्या निकला ? सरकार और फौज ने तो हथियार नहीं चलाए लेकिन आतंकवादियों ने बड़ी बेशर्मी से अपनी खूरेंजी जारी रखी। 41 लोग मारे गए और दर्जनों घायल हुए। पत्थरबाजी भी चलती रही। सबसे दुखद बात यह हुई कि वरिष्ठ पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या की गई।

इतना ही नहीं, इस एक माह में आतंकवाद की 50 घटनाएं हुईं जबकि पिछले माह में सिर्फ 19 घटनाएं हुई थीं। अर्थात आतंकवादियों ने शस्त्र-विराम का जमकर फायदा उठाया। इस बीच पाकिस्तान ने मई 2018 तक साल भर में 1252 बार युद्ध-विराम का उल्लंघन किया, जबकि 2017 में उसने 971 बार, 2016 में 449 और 2015 में 405 बार किया था। कुल मिलाकर शस्त्र-विराम की पहल बेकार सिद्ध हुई। उसे छोड़ना बेहतर हुआ लेकिन विरोधी दलों के इस बयान में कुछ दम जरुर मालूम पड़ता है कि इस शस्त्र-विराम को लागू करनेवाली सरकार ने उसमें अपना दिमाग नहीं लगाया। शस्त्र-विराम के साथ-साथ अलगाववादियों से गुपचुप या खुले-आम संवाद चलाया जाना चाहिए था।

पाकिस्तान से भी बात की जानी चाहिए थी, जैसा कि अटलजी ने किया था लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि इस सरकार के नेताओं की समझ काफी उथली है। अगर उन्हें इन कूटनीतिक बारीकियों का ज्ञान होता तो आज मालदीव, नेपाल, बर्मा और श्रीलंका जैसे पड़ौसी देश चीन की गोद में क्यों जा बैठते ? दुर्भाग्य यह है कि मोदी सरकार की अनुभवहीनता अपनी जगह है लेकिन उसमें साहस की भी बहुत कमी है। उसने कश्मीरियों के साथ संवाद करने के लिए एक सेवा-निवृत्त अफसर को जुटा रखा है। उसके पास योग्य लोगों का सर्वथा अभाव है। लेकिन कश्मीर में सख्त फौजी कार्रवाई करने से उसे कौन रोक रहा है ? वह ईंट का जवाब पत्थर से क्यों नहीं देती ?

बात और लात वह साथ-साथ क्यों नहीं चलाती। वह फर्जीकल स्ट्राइक को सर्जिकल स्ट्राइक क्यों कहती है ? चेचन्या के इस्लामी उग्रवादियों का सफाया रुसी नेता पुतिन ने आखिर कैसे किया था ? कश्मीर के आतंकवादियों को जो भी मदद कर रहा हो, उसकी जड़ों में जब तक भारतीय फौज मट्ठा नहीं पिलाएगी, उसकी हर पहल, चाहे वह शस्त्र-विराम की हो या संवाद की, वह विफल हो जाएगी।

(वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार डॉ. वेद प्रताप वैदिक के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)
Leave a Comment
Share
Published by
ISN-2

Recent Posts

इलेक्ट्रिशियन के बेटे को टीम इंडिया से बुलावा, प्रेरणादायक है इस युवा की कहानी

आईपीएल 2023 में तिलक वर्मा ने 11 मैचों में 343 रन ठोके थे, पिछले सीजन…

10 months ago

SDM ज्योति मौर्या की शादी का कार्ड हुआ वायरल, पिता ने अब तोड़ी चुप्पी

ज्योति मौर्या के पिता पारसनाथ ने कहा कि जिस शादी की बुनियाद ही झूठ पर…

10 months ago

83 के हो गये, कब रिटायर होंगे, शरद पवार को लेकर खुलकर बोले अजित, हमें आशीर्वाद दीजिए

अजित पवार ने एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार पर निशाना साधते हुए कहा आप 83 साल…

10 months ago

सावन में धतूरे का ये महाउपाय चमकाएगा किस्मत, भोलेनाथ भर देंगे झोली

धतूरा शिव जी को बेहद प्रिय है, सावन के महीने में भगवान शिव को धतूरा…

10 months ago

वेस्टइंडीज दौरे पर इन खिलाड़ियों के लिये ‘दुश्मन’ साबित होंगे रोहित शर्मा, एक भी मौका लग रहा मुश्किल

भारत तथा वेस्टइंडीज के बीच पहला टेस्ट मैच 12 जुलाई से डोमनिका में खेला जाएगा,…

10 months ago

3 राशियों पर रहेगी बजरंगबली की कृपा, जानिये 4 जुलाई का राशिफल

मेष- आज दिनभर का समय स्नेहीजनों और मित्रों के साथ आनंद-प्रमोद में बीतेगा ऐसा गणेशजी…

10 months ago