भगवान गणेश के इस मंदिर में भेजा जाता है सबसे पहला निमंत्रण, बाधाएं हो जाती हैं दूर

कोई भी हवन हो, पूजा हो या भी अन्य कोई कर्मकांड, सबसे पहले भगवान गणेश का ही आह्वान किया जाता है।उनके चमत्कारों से हिन्दू पौराणिक इतिहास भरा हुआ है।

New Delhi, Jun 21 : हिंदू धर्म में गणेश जी प्रथम पूज्‍य माना गया है, प्रथम भगवान के रूप में उनकी आराधना की जाती है । गणपति को याद नहीं किया तो पूजा अधूरी रह जाती है । श्री गणेश को विघ्‍नहर्ता कहा जाता है, उनके पास आप जो भी मनोकामना, समस्‍या लेकर जाएं उसका निवारण जरूर होता है । कोई भी काम हो सुख का दुख गणपति को सदैव सबसे पहले आह्वाहन किया जाता है ।

अनोखा मंदिर
भगवान गणेश को कई नामों से पुकारा जाता है । उनके चमत्कारों से हिन्दू पौराणिक इतिहास भरा हुआ है । लेकिन उनसे जुड़े चम्‍त्‍कार आज भी कम नहीं है । इसका जीता जागता साक्ष्‍य है एक मंदिर । इस मंदिर को लेकर ऐसी मान्‍यता प्रचलित है कि आप भी सुनकर हैरान हो जाएंगे । ऐसी मान्‍यता जिसे सुनकर आप कहेंगे कि भला आज के जमाने में भी ऐसा होता है क्‍या ।

रणथंबौर में है ये मंदिर
भगवान गणेश के देश-विदेश में हजारों मंदिर है, लेकिन इस मंदिर की बात ही कुछ अलग है । मान्‍यता हे कि इस मंदिर में भेजी गई एक चिठ्टी भक्‍त की मुरादों को पूरी करती है । किसी भी शुभ कर्य की शुरुआत करने से पहले गणेश जी को याद कर ये चठ्ठी उनके नाम भेजकर उन्‍हें आमत्रित करने की प्रथा है । इलाके के लोग ही नहीं दूर दराज के लोग इस पर भेरासा करते हैं ।

हर बाधा को दूर करते हैं गणपति
स्थानीय लोगों की इस मंदिर में बहुत गहरी आस्‍था है । अपने घर में किसी भी शुभ काम से पहले वह पहला न्‍यौता इसी मंदिर में आकर देते हैं । हर बाधा को दूर करने की प्रार्थना करते हैं । बताया जाता है कि इस मंदिर से किसी भी भक्‍त की मुराद अधूरी नहीं रहती । यहां दूर-दूर से भगवान गणेश के नाम डाक के जरिए चिट्ठी या निमंत्रण आता है। पत्र मिलते ही मंदिर के पुजारी उसे भगवान गणेश को अर्पित कर देते हैं।

मंदिर का इतिहास
मंदिर के इतिहास की बात करें तो इसकी स्थापना 10वीं सदी में राजा हमीर ने बनवाया था। युद्ध के दौरा राजा हमीर के स्वप्न में स्वयं भवान गणेश ने दर्शन दिए और उन्हें विजयी होने का आशीर्वाद दिया। युद्ध में विजय होने के बाद उन्होंने किले के भीतर भगवान गणेश के मंदिर की स्थापित की।

त्रिनेत्र गणेश की प्रतिमा
इस मंदिर में स्थापित भगवान गणेश की मूर्ति की तीन आंखें हैं और उनके साथ उनकी दोनों पत्नियां ऋद्धि-सिद्धि और पुत्र शुभ-लाभ विराजित है। मूर्ति के साथ ही उनकी सवारी मूषक भी मौजूद है। गणेश चतुर्थी के दिन इस मंदिर को विशेष रूप से सजाकर भगवान गणेश की पूरे विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है।

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