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जम्मू-कश्मीर को लेकर रामचंद्र गुहा ने दिया नया फॉर्मूला, ट्विटर पर होने लगे ट्रोल

जैसे ही रामचंद्र गुहा ने ट्विटर पर अपनी मंशा जाहिर की, उनके ट्वीट पर लोग उन्हें ट्रोल करने लगे। कुछ लोगों का उनका ये ट्वीट इतना नागवार गुजरा, कि अपनी भाषाई मर्यादा का भी ध्यान नहीं रखा।

New Delhi, Jun 22 : जम्मू-कश्मीर में पीडीपी-बीजेपी गठबंधनके टूटने के बाद राज्यपाल शासन लागू हो गया है। गवर्नर एन एन वोहरा ने बुधवार को विधान राज्यपाल शासन लगा दिया। नेशनल कांफ्रेस के नेता और पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने विधानलसभा को भंग कर दुबारा चुनाव कराने की मांग की थी। हालांकि अभी इस पर विचार नहीं किया जा रहा है, फिलहाल पूरे देश की नजर जम्मू-कश्मीर पर टिकी हुई है।

महागठबंधन का सुझाव
बीजेपी ने बीते 19 जून को अचानक प्रेस कांफ्रेस कर महबूबा सरकार से नाता तोड़ लिया। सीएम महबूबा मुफ्ती ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया। बीजेपी के इस कदम को 2019 लोकसभा चुनावों से जोड़कर देखा जा रहा है, जम्मू-कश्मीर के मौजूदा राजनैतिक हालात पर चर्चित इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने टिप्पणी करते हुए विपक्षी दलों को महागठबंधन करने का सुझाव दिया है।

सभी पार्टी एक हो
रामचंद्र गुहा ने ट्विटर पर लिखा कि भाजपा कि अलग-थलग करने और विभिन्न क्षेत्रों, धर्मों के बीच सद्भाव बढाने के लिये जम्मू-कश्मीर को नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी, कांग्रेस, सीपीएम और गैर दलीय लोकतंत्रवादियों को महागठबंधन की जरुरत है। दरअसल चर्चित इतिहासकार जम्मू-कश्मीर में बीजेपी के बिना सरकार की बात कह रहे थे, लेकिन कुछ लोगों को उनका सुझाव नागवार गुजरा।

लोगों ने जताई असहमति
जैसे ही रामचंद्र गुहा ने ट्विटर पर अपनी मंशा जाहिर की, उनके ट्वीट पर लोग उन्हें ट्रोल करने लगे। कुछ लोगों का उनका ये ट्वीट इतना नागवार गुजरा, कि अपनी भाषाई स्तर का भी ध्यान नहीं रखा। तो कुछ लोगों ने सलीके से ही सही, लेकिन अपनी असहमति दर्ज कराई और उनसे हमेशा मोदी और बीजेपी का विरोध करने का कारण पूछ लिया।

लोगों ने क्या लिखा ?
एक ट्विटर यूजर ने लिखा कि सच इस गठबंधन से राज्य को कैसे मदद मिलेगी। जिस गठबंधन की भूमिका केवल बीजेपी को दूर रखना हो। तो एक और यूजर ने लिखा कि जम्मू-कश्मीर में पिछले 67 साल से बीजेपी अलग-थलग ही थी, क्या इस दौरान जो हुआ। उसके लिये आप बीजेपी को जिम्मेदार ठहराते हैं।

कांग्रेस ने गठबंधन से किया मना
जिस दिन बीजेपी ने समर्थन वापसी का ऐलान किया था, उस दिन ही नई सरकार की संभावना की तलाश की गई, लेकिन पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने सीधे शब्दों में गठबंधन की संभावना से इंकार कर दिया। आपको बता दें कि 2014 के आखिर में जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव हुए थे।

देश में भुनाने में कोशिश
राजनीतिक एक्सपर्ट्स इसे बीजेपी का बड़ा दांव मान रहे है, दरअसल कहा जा रहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले महबूबा मुफ्ती बीजेपी से गठबंधन तोड़ चुनाव में जाने वाली थी, लेकिन बीजेपी ने पहले ही ये दांव खेल दिया। बीजेपी इसे पूरे देश में भुनाने की कोशिश में है, इसी वजह से मोदी सरकार चुन-चुन कर अधिकारियों को कश्मीर भेज रही है, ताकि वहां का माहौल शांति प्रिय किया जा सके।

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