27 जुलाई को चंद्रग्रहण, चार राशियों के लिए रहेंगे श्रेष्ठ योग, 104 साल बाद बन रहा है ये संयोग

आषाढ़ पूर्णिमा, 27 जुलाई की रात खग्रास चंद्रग्रहण हो रहा है । पूरे देश में इसे देखा जा सकेगा । जानकारों के अनुसार ये योग पूरे 104 सालों बाद बन रहा है । इसका प्रभाव कुछ राशियों पर विशेष रहेगा ।

New Delhi, Jun 26 : चंद्र ग्रहण, सूर्य ग्रहण ये सभी खगोलीय घटनाएं ज्‍योतिष के अनुसार मानव जीवन में कई तरह से प्रभाव छोड़कर जाती है । कुछ राशियों के जात‍कों पर इसका विशेष प्रभाव पड़ता है तो कुछ के लिए ग्रहण शुभकारी नहीं होते हैं । ऐसी स्थिति में इसके बारे में जानकारी प्राप्‍त होना आवश्‍यक है । विशेष तौर पर तब जब ग्रहण एक विशेष संयोग में लग रहा हो तो ।

4 राशियों पर विशेष प्रभाव
इस बार 27 जुलाई को होने वाले चंद्रग्रहण का चार राशियों पर विशेष प्रभाव पड़ेगा । ये चार राशियां हैं –  मेष, सिंह, वृश्चिक व मीन के लिए श्रेष्ठ है। इन चार राशियों के अलावा मिथुन, तुला, मकर और कुंभ के लिए यह चंद्रग्रहण ठीठ – ठाक है । ये 4 राशि के जातक ग्रहण के दौरान भगवान शिव और हनुमान की आराधना कर ग्रहण के प्रभाव को अनुकूल बना सकते हैं ।

ज्‍योतिष जानकारों अनुसार
ज्‍योतिष एक्‍सपर्ट्स के मुताबिक खग्रास चंद्रग्रहण का ग्रह गोचर के अनुसार अलग-अलग प्रभाव होगा । ग्रह गोचर में मकर राशि के केतु के साथ चंद्रमा का प्रभाव और राहु से उसका समसप्तक दृष्टि संबंध होना, युति कृत मान से कर्क राशि में राहु, सूर्य, बुध तथा मकर राशि में चंद्र, केतु, मंगल युति कृत दृष्टि संबंध होना, दो तरफा केंद्र योग का बनना और शनि व मंगल का वक्री होना अपने आप में विशेष घटना है। हालांकि यह अच्छा नहीं माना जाता है।

चंद्रग्रहण का समय
27 व 28 जुलाई को 3 घंटे 55 मिनट का खग्रास चंद्रग्रहण होगा। चंद्रग्रण का सूतक काल – आषाढ़ पूर्णिमा ग्रहण प्रारंभ होने के तीन प्रहर यानी 9 घंटा पहले शुरू होगा। मोक्ष काल – तड़के 3.55 बजे होगा । ग्रहण स्पर्श रात 11:45 बजे । ग्रहण सम्मिलन रात 1 बजे । ग्रहण उन्मूलन रात 2:45 बजे होगा ।

ग्रहण काल में क्या न करें 
ज्‍योतिष और शास्‍त्रों के जानकारों के अनुसार सूर्यग्रहण में ग्रहण के 4 पहर पूर्व और चंद्र ग्रहण में 3 पहर पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए। बुजुर्ग, बालक और रोगी डेढ़ प्रहर पूर्व तक खा सकते हैं। जिन पदार्थों में कुश या तुलसी की पत्तियां डाल दी जाती हैं, वे पदार्थ दूषित नहीं होते। ग्रहण वेद के प्रारंभ में तिल या कुश मिश्रित जल का उपयोग नहीं करना चाहिए । ग्रहण शुरू होने से अंत तक अन्न या जल नहीं लेना चाहिए ।

ग्रहण काल में क्या करें
ग्रहण काल में भगवान शिव की आराधना करने से बहुत लाभ मिलता है । शिव स्‍तुति, शिव चालीसा का पाठ करना आपके लिए बहुत ही शुभ रहेगा । इसके साथ ही ग्रहण काल में हनुमान जी की स्‍तुति करने से भी ग्रहण का बुरा प्रभाव खत्‍म होता है । इस काल में जितना हो सके प्रभु भक्ति में ध्‍यान लगाएं और इस का जितना लाभ उठा सकते हैं उठाएं ।

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