New Delhi, Aug 24 : मलेशिया के प्रधानमंत्री महाथिर मोहम्मद ने वह काम कर दिखाया, जो प्रायः नेताओं के बस का नहीं होता। वे सरकारी यात्रा पर पेइचिंग गए और वहां जाकर उन्होंने मलेशिया में चलनेवाली 2300 करोड़ रु. की चीनी योजनाओं को बंद कर दिया। यह बड़ी हिम्मत का काम था। आप किसी देश के मेहमान हों और उस देश ने आपके स्वागत में पलके बिछा रखी हों और वहां जाकर आप उसी पर बिजली गिरा दें, ऐसा कम ही होता है।
महाथिरजी ने मलेशिया में रेलवे लाइन बिछाने और गैस की पाइप लाइन लाने की चीनी योजना को रद्द कर दिया। उन्होंने न तो कोई मखमली भाषा का प्रयोग किया,
मलेशिया पर पहले ही 25 हजार करोड़ रु. का विदेशी कर्ज है। पता नहीं, पिछली सरकार के प्रधानमंत्री नजीब रज़ाक ने इन बेकार की योजनाओं को क्यों स्वीकार किया ? महाथिर ने यह भी कह डाला कि चीनी सरकार इसलिए इतना पैसा बहा रही है कि वह छोटे-छोटे देशों में कुछ कठपुतलियों को मजबूत बनाने में लगी हुई है। ये सब बातें उन्होंने एक पेइचिंग की पत्रकार-परिषद में खुलकर कही हैं। चीन की रेशम महापथ (ओबोर) योजना पर इससे बड़ा प्रहार क्या हो सकता है ? क्या नेपाल के के.पी. ओली और पाकिस्तान के इमरान इस घटना से कुछ सबक लेंगे ? मलेशिया के वित्त मंत्री ली गुआन इंग, जो चीनी मूल के हैं, ने कहा है कि हमें श्रीलंका से सबक लेना चाहिए, जिसे चीन को अपना बंदरगाह 99 साल के लिए गिरवी रखना पड़ा है।
महाथिर ने यह भी बताया कि अफीम-युद्ध के बाद पश्चिमी राष्ट्रों ने चीन का शोषण इसी तरह किया था। चीन के रेशम महापथ का अमेरिका स्पष्ट विरोध कर रहा है और भारत भी उसमें सहयोग करने को तैयार नहीं है।
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