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उच्च शिक्षा में सुधार हुआ तो राज्यपाल का उपकार मानेगा बिहार

सत्यपाल मलिक को कश्मीर का राज्यपाल इसलिए बनाया गया क्योंकि वह इस पद के लिए सर्वाधिक योग्य व्यक्ति माने गये।

New Delhi, Aug 25 : निवत्र्तमान राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने बिहार की अस्त- व्यस्त उच्च शिक्षा में सुधार की ठोस पहल शुरू कर दी थी। इसी बीच उनका तबादला हो गया। उम्मीद है कि मौजूदा राज्यपाल सह विश्व विद्यालयों के चांसलर लाल जी टंडन उस काम को आगे बढ़ाएंगे। काम तो जरा कठिन है, पर यदि महामहिम उच्च शिक्षा को पटरी पर ला सके तो यह बिहार पर उनका एक बड़ा उपकार माना जाएगा।

उत्तर प्रदेश मूल के किसी हस्ती के लिए इस बिहार राज्य की उच्च शिक्षा की दुर्दशा को समझना आसान है। क्योंकि मिल रही सूचनाओं के अनुसार लगभग ऐसे ही हालात उत्तर प्रदेश के भी हैं। बिहार में भी शिक्षण और परीक्षा में प्रामाणिकता कायम करने की सख्त जरूरत है। अनेक स्तरों पर शिक्षा माफिया सक्रिय हैं। उनको सही मुकाम पर पहुंचाने का काम कठिन है। हालांकि यह काम असंभव नहीं है। पर जो भी हो, उसे तो करना ही पड़ेगा ताकि अगली पीढि़यां हमें दोष न दें। चूंकि उच्च शिक्षा के मामले में चांसलर को अधिक अधिकार मिले हुए हैं, इसलिए उनका इस्तेमाल करके ही इसे सुधारा जा सकेगा।
नये महा महिम से यह उम्मीद की जा रही है।

बिहार की उच्च शिक्षा की बर्बादी का एक पिछला नमूना पेश है। सन 2009 से 2013 तक देवानंद कुंवर बिहार के राज्यपाल सह चांसलर थे। एक बार जब राज्यपाल कुंवर विधान मंडल की संयुक्त बैठक को संबांधित करने पहुंचे तो कांग्रेस की एम.एल.सी. ज्योति ने उनसे सवाल कर दिया, ‘आजकल वी.सी. की बहाली का क्या रेट चल रहा है आपके यहां ?’ खैर, उस हालात से तो बिहार अब उबर चुका है, पर अभी बहुत कुछ करना बाकी है।

शिक्षा माफिया की ताकत
यह पक्की खबर है कि सत्यपाल मलिक को कश्मीर का राज्यपाल इसलिए बनाया गया क्योंकि वह इस पद के लिए सर्वाधिक योग्य व्यक्ति माने गये। पूर्व राज्यपाल विद्या सागर राव, पूर्व केंद्रीय गृह सचिव राजीव महर्षि, सत्यपाल मलिक , एडमिरल शेखर सिन्हा और भाजपा नेता अविनाश राय खन्ना में से किन्हीं एक को चुनना था। उस कठिन तैनाती के लिए सबसे योग्य बिहार के राज्यपाल को माना गया। पर बिहार से उनके हटने को लेकर यहां एक अफवाह उड़ चली। वह यह कि शिक्षा माफिया ने उन्हें यहां से हटवा दिया। यह बेसिरपैर की अफवाह है। पर, इस अफवाह के पीछे भी एक खबर है।वह यह कि लोगों में यह धारणा बनी हुई है कि शिक्षा माफिया इतने अधिक ताकतवर हैं कि वे अपने स्वार्थ में आकर किसी राज्यपाल का भी तबादला करवा सकते हैं।
ऐसे में तो उन माफियाओं को उनके असली मुकाम तक पहुंचाने का काम और भी जरूरी है ताकि इस गरीब राज्य के छात्र-छात्राओं के लिए बेहतर शिक्षा की व्यवस्था की जा सके। अब तक जो खबरें मिलती रही हैं, उनके अनुसार शिक्षा माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई में मुख्य मंत्री नीतीश कुमार हमेशा चांसलर का सहयोग करते आए हैं। इसलिए लगता है कि नये महा महिम को शिक्षा में सुधार का श्रेय मिलने ही वाला है। वैसे भी जो माफिया तत्व आम जन का जितना अधिक नुकसान पहुंचा रहे हैं,उनसे लड़ने की जरूरत उतनी अधिक महसूस की जानी चाहिए।

(वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र किशोर के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)
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