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सर्जिकल स्ट्राइक दिवस: विचार या विचार की दरिद्रता !

अगर कभी भारत-पाकिस्तान के बीच वार्ता, समझौता या शांति के प्रयास शुरू हुए तो ‘सर्जिकल सर्जिकल स्ट्राइक दिवस’ का क्या होगा?

New Delhi, Sep 30 : 1. ये स्ट्राइक 2016 में हुई थी। फिर पिछले साल यानी 2017 में क्यों भुला दिया? ये 2018 है और 2019 में चुनाव होना है! क्या माजरा है? सर्जिकल स्ट्राइक तो पहले भी हुईं पर किसी ने ‘सर्जिकल स्ट्राइक दिवस’ मनाने को तो नहीं कहा!
2. Surgical strike पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए की गई कि वह आतंकियों को शह नहीं दे और सरहद पर खुराफात न करे! क्या सरहद पर सब ठीक हो गया?

3. अधिकृत आंकड़े बताते हैं कि सरहद पर और कश्मीर में हमारे जवानों की मौतों की संख्या पहले के मुकाबले बढ़ी है। सन् 2016 का आंकड़ा बीते छह सालों में सबसे अधिक बताया गया।
4. देश के अनेक इलाकों, खासकर यूपी, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड और महाराष्ट्र आदि में अपने नागरिकों पर ही जो शासकीय एजेंसियों की ‘सर्जिकल स्ट्राइक'(पुलिसिया ‘फेक एनकाउंटर’ और सत्ता संरक्षित गुंडा गिरोहों द्वारा ‘माब लिंचिंग’) होती रहती है, उसका क्या होगा?
5. आतंकवाद से निपटने के लिए दुनिया के अनेक देशों ने बाहर जाकर कारवाई की(हम इन्हें जायज या नाजायज नहीं कह रहे हैं)। हमारी सर्जिकल स्ट्राइक से बहुत बड़ा आपरेशन था: अमेरिका का पाकिस्तान में ओसामा बिन लादेन के सफाए का आपरेशन। क्या अमेरिका में कभी ‘ओसामा विरोधी सर्जिकल स्ट्राइक दिवस’ मनाने की बात कभी किसी ने सुनी या किसी के दिमाग में ऐसा विचार आया?

6.दुनिया में ज्यादातर देशों के उनके पड़ोसियों के साथ के विवाद अंततः वार्ता से ही हल हुए, युद्ध से नहीं। ऐसे में अगर कभी भारत-पाकिस्तान के बीच वार्ता, समझौता या शांति के प्रयास शुरू हुए तो ‘सर्जिकल सर्जिकल स्ट्राइक दिवस’ का क्या होगा? उसकी क्या प्रासंगिकता होगी तब?
7. सरकार विश्वविद्यालयों और अन्य शैक्षणिक संस्थाओं में भी ‘पराक्रम’ के इस दिवस को जबरन मनवा रही है! वाइस चांसलर और अन्य अधिकारी दुम हिलाते हुए हुक्म तामील कर रहे हैं! पर ठीक इसी दौरान दुनिया के स्तरीय विश्वविद्यालयों का एक सूचकांक हाल ही में जारी हुआ। दुनिया के श्रेष्ठ 200 विश्वविद्यालयों की सूची में इस बार भारत के एक भी विश्वविद्यालय को जगह नहीं मिली!
हे भारत के वीर-बांकुड़ों, आप इत्ती छोटी सी बात क्यों नहीं समझते कि विश्वविद्यालय ‘पढ़ाई’ के लिए होते हैं, ‘पराक्रम-प्रदर्शन’ के लिए नहीं!

8. पराक्रम ही दिखाना है तो शिक्षा, सेहत , कृषि उत्पादन, औद्योगिक विकास, खेलकूद, नरेंद्र वैज्ञानिक आविष्कार और खुशहाल मुल्क बनाने में दिखाओ!
9. इन सभी क्षेत्रों में जिस दिन भारत आगे बढ़ेगा, पाकिस्तान या दक्षिण एशिया का कोई भी मुल्क भारत के आगे नतमस्तक होगा! सरहद के विवाद भी सुलझते नजर आएंगे!
अगर आप सचमुच देशप्रेमी हैं तो ईमानदारी से सोचिए वरना हम जैसों को ‘देशद्रोही’ बताते रहिए!

(वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)
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