New Delhi, Oct 07 : इस चुनाव आयोग पर कोई कैसे भरोसा करे। ख़ुद ही बताता है कि साढ़े बारह बजे प्रेस कांफ्रेंस है। फिर इसे तीन बजे कर देता है। एक बजे प्रधानमंत्री की सभा है। क्या इस वजह से ऐसा किया गया? कि रैली की कवरेज या उसमें की जाने वाली घोषणा प्रभावित न हो? बेहतर है आयोग अपना मुख्यालय बीजेपी के दफ़्तर में ही ले जाए। नया भी है और न्यू इंडिया के हिसाब से भी। मुख्य चुनाव आयुक्त वहाँ किसी पार्टी सचिव के साथ बैठकर प्रेस कांफ्रेंस की टाइमिंग तय कर लेंगे। देश का समय भी बर्बाद नहीं होगा। आयोग ख़ुद को भाजपा का चुनाव प्रभारी भी घोषित कर दे। क्या फ़र्क़ पड़ता है।
प्रेस कांफ्रेंस का समय बढ़ाने का बहाना भी दे ही दीजिए। कुछ बोलना ही है तो बोलने में क्या जाता है। आयोग से किसी ने पूछा नहीं उसके पहले ही सूत्रों के हवाले से मैनेज करने वाली ख़बर भेजी गई कि पत्रकारों ने कहा था कि इतने कम समय में नहीं आ सकते।
यह संस्था लगातार अपनी विश्वसनीयता से खिलवाड़ कर रही है। गुजरात विधानसभा की तारीख़ तय करने के मामले में यही हुआ।
इसलिए बेहतर है चुनाव आयुक्त बेंच कुर्सी लेकर बीजेपी के नए दफ़्तर में चले जाएँ। जगह न मिले तो वहीं बाहर एक पार्क है, वहाँ कुर्सी लगा लें और काम करें।
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