New Delhi, Dec 07 : पटना विश्वविद्यालय के छात्रसंघ चुनाव में जदयू ने अध्यक्ष और कोषाध्यक्ष पद पर जीत हासिल की, इसके साथ ही सुशासन बाबू के पीके प्लान ने पटना विश्वविद्यालय में एबीवीपी का वर्चस्व तोड़ दिया, जाहिर है कि ये सब जदयू उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर यानी पीके के बेहतरीन प्लानिंग और उसे धरातल पर उतारने की वजह से हुआ है, हालांकि पीके जिस तरह से छात्रसंघ के चुनाव में एक्टिव दिखे, उसने कई सवालों को भी जन्म दे दिया है।
क्यों दिया छात्रसंघ चुनाव को इतना महत्व ?
बिहार में पीके की राजनीतिक हैसियत क्या है, शायद किसी को बताने की जरुरत नहीं है, इतने बड़े कद के नेता के लिये छात्रसंघ चुनाव ज्यादा मायने नहीं रखते,
युवाओं पर खास फोकस
जब से पीके जदयू में शामिल हुए हैं, वो युवाओं पर फोकस कर रहे हैं, अक्टूबर में वो युवाओं के साथ बैठक की, छात्र जदयू के कार्यकर्ताओं और युवा पदाधिकारियों को महत्वपूर्ण टास्क भी दिये,
एजेंडा सेट
इसके जरिये पीके युवाओं से फीड बैक लेकर जदयू के उम्मीदवार तय करने और मेनिफेस्टो बनाने के साथ-साथ एजेंडा सेट करने पर भी काम करेंगे, वो कुछ युवाओं की टोली तैयार कर रहे हैं,
नये उम्मीदवारों को मौका
प्रशांत किशोर पहले ही कह चुके हैं, कि एक बार में नहीं लेकिन धीरे-धीरे वो रणनीति के तहत अपनी पार्टी में युवाओं को मौका देंगे,
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