New Delhi, Jan 11 : आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने बिहार में कांग्रेस को फिर से अपनी सियासी गुगली में फंसा लिया है, गरीब सवर्णों को आरक्षण के मसले पर कांग्रेस के साथ महागठबंधन के अन्य घटक दलों के सामने भी दुविधा है, दरअसल राजद ने आर्थिक आधार पर आरक्षण का विरोध कर अपने परंपरागत वोट बैंक को खुश करने की चाल चली है, जो उनके साथी दलों को रास नहीं आ रही है।
असमंजस में कांग्रेस
सवर्ण वोट बैंक को साधकर बिहार में अपना आधार बढाने में लगे कांग्रेस के सामने असमंजस की स्थिति है, वो गठबंधन की राजनीति में राजद के साथ कैसे पेश आये,
कांग्रेस का वोट बैंक
आपको बता दें कि परिवार में अतीत में कांग्रेस को सवर्णों से बड़ा सहारा मिलता रहा है, लेकिन ये वोट बैंक मंडल आंदोलन के बाद बीजेपी और जदयू की ओर शिफ्ट हो गया,
मांझी-कुशवाहा को आस
महागठबंधन के मुख्य घटक जीतन राम मांझी और उपेन्द्र कुशवाहा को भी सवर्णों से आस है, उन्हें पता है कि बीजेपी-जदयू की ताकत को तोड़ने के लिये सवर्णों का साथ जरुरी है,
लालू को रास आती है आरक्षण की सियासत
सवर्ण आरक्षण ने बिहार की राजनीति को बड़ा चुनावी मुद्दा दे दिया है, लेकिन विश्लेषकों के अनुसार लालू प्रसाद की राजनीति को ये मुद्दा बड़ा रास आता है,
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