Categories: वायरल

काबुलः भारत चुप क्यों हैं ?

यदि अमेरिका ने अफगानिस्तान से कूच कर दिया तो काबुल में तालिबान को सत्तारुढ़ होने से रोकना लगभग असंभव होगा।

New Delhi, Jan 15 : अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने के प्रयास आजकल जितने जोरों से हो रहे हैं, शायद पिछले तीस साल में कभी नहीं हुए। कभी काबुल, कभी इस्लामाबाद, कभी दोहा, कभी तेहरान, कभी मास्को, कभी वाशिंगटन डीसी और अब नई दिल्ली में भी नेता और अफसर लगातार मिल रहे हैं। अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विशेष दूत जलमई खलीलजाद ने भारत आकर हमारे नेताओं और अफसरों से बात की है।

समरकंद जाकर हमारी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मध्य एशिया के पांचों मुस्लिम-राष्ट्रों की बैठक में अफगानिस्तान की विशेष रुप से चर्चा की है। यह सब इसलिए हो रहा है कि मध्य एशिया के सभी राष्ट्रों और भारत के बीच अफगान इलाका सदियों से एक सेतु का काम करता रहा है। यदि भारत के लिए अफगानिस्तान होकर जानेवाला रास्ता खुल जाए तो भारत तो मालामाल हो ही जाएगा, इन सब विकासमान राष्ट्रों की समृद्धि में भी चार चांद लग जाएंगे। लेकिन आश्चर्य है कि भारत सरकार कोई पहल अपनी तरफ से क्यों नहीं कर रही है ? वह एक ही रट लगाए हुए हैं कि जो भी समझौता हो, वह अफगानों द्वारा हो, उनके बीच हो और वे ही करें ?

यह बात कहने के लिए ठीक है, सिद्धांत रुप से भी ठीक है लेकिन यदि वे यह कर सकते होते तो पिछले 18 साल से अफगानिस्तान में खून की नदियां क्यों बहती रहती ? क्या अमेरिकी, रुसी, चीनी, ईरानी और पाकिस्तानी सरकारें मूर्ख हैं, जो अपने-अपने ढंग से पहल कर रही हैं ? वे तालिबान और काबुल सरकार के नेताओं से बात कर रही हैं या नहीं ? यह ठीक है कि विदेश नीति के मामले में हमारे सर्वज्ञजी की समझ काफी सतही है लेकिन मैं विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से आशा करता हूं कि वे पहल करें और तालिबान से सीधे बात करें। उनसे संपर्क बढ़ाएं। तालिबान भारत के दुश्मन नहीं है। जब 1999 में हमारे हवाई जहाज का अपहरण करके उसे आतंकी कंधार ले गए थे, तब मैंने अटलजी के कहने पर काबुल, कंधार, लंदन, न्यूयार्क और पेशावर में जमे तालिबान नेताओं से सीधी बात की थी। उन्होंने हमारे जहाज को सुरक्षित छोड़ दिया था।

तालिबान लोग मुख्यतः गिलजई (खिलजी) पठान हैं। वे बड़े स्वाभिमानी और लड़ाकू होते हैं। यदि अमेरिका ने अफगानिस्तान से कूच कर दिया तो काबुल में तालिबान को सत्तारुढ़ होने से रोकना लगभग असंभव होगा। ऐसे में भारत फिर पिछड़ जाएगा। मेरी राय है कि भारत अफगानिस्तान का सबसे समर्थ पड़ौसी है। उसने वहां पैसा भी खूब लगाया है और कुर्बानियां भी दी हैं। वहां शांति स्थापित करने में उसकी पहल सबसे ज्यादा, सबसे पहले और सबसे मजबूत होनी चाहिए।

(वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार डॉ. वेद प्रताप वैदिक के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)
Leave a Comment
Share
Published by
ISN-2

Recent Posts

इलेक्ट्रिशियन के बेटे को टीम इंडिया से बुलावा, प्रेरणादायक है इस युवा की कहानी

आईपीएल 2023 में तिलक वर्मा ने 11 मैचों में 343 रन ठोके थे, पिछले सीजन…

10 months ago

SDM ज्योति मौर्या की शादी का कार्ड हुआ वायरल, पिता ने अब तोड़ी चुप्पी

ज्योति मौर्या के पिता पारसनाथ ने कहा कि जिस शादी की बुनियाद ही झूठ पर…

10 months ago

83 के हो गये, कब रिटायर होंगे, शरद पवार को लेकर खुलकर बोले अजित, हमें आशीर्वाद दीजिए

अजित पवार ने एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार पर निशाना साधते हुए कहा आप 83 साल…

10 months ago

सावन में धतूरे का ये महाउपाय चमकाएगा किस्मत, भोलेनाथ भर देंगे झोली

धतूरा शिव जी को बेहद प्रिय है, सावन के महीने में भगवान शिव को धतूरा…

10 months ago

वेस्टइंडीज दौरे पर इन खिलाड़ियों के लिये ‘दुश्मन’ साबित होंगे रोहित शर्मा, एक भी मौका लग रहा मुश्किल

भारत तथा वेस्टइंडीज के बीच पहला टेस्ट मैच 12 जुलाई से डोमनिका में खेला जाएगा,…

10 months ago

3 राशियों पर रहेगी बजरंगबली की कृपा, जानिये 4 जुलाई का राशिफल

मेष- आज दिनभर का समय स्नेहीजनों और मित्रों के साथ आनंद-प्रमोद में बीतेगा ऐसा गणेशजी…

10 months ago