New Delhi, Jan 31 : किसी ने सच ही कहा है कि प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती, ऐसा ही कुछ कर दिखाया है आजमगढ के रहने वाले धनंजय यादव ने, उनके पिता मामूली दर्जी का काम करते हैं, परिवार की आर्थिक हालत खस्ता है, बावजूद इसके धनंजय ने हिम्मत नहीं हारी, क्रिकेट के जूनून ने उन्हें शिखर पर पहुंचा दिया, दर्जी के इस लाल को यूपी अंडर-14 टीम की कमान मिली है।
बेटा नाम रोशन करेगा
टेलरिंग का काम करने वाले धनंजय यादव के पिता हरेन्द्र यादव ने खुद कभी क्रिकेट नहीं खेले, उन्होने बल्ले को छुआ तक नहीं,
कमाई का आधा हिस्सा बेटे को देते हैं
बेटे की सफलता से गदगद हरेन्द्र यादव ने कहा कि उन्हें अपने बेटे पर नाज है, धनंजय को बचपन से ही क्रिकेट से लगाव है, उसने आजमगढ में ही क्रिकेट खेलना शुरु किया,
कमाई नहीं पड़ती पूरी
पिता से मिलने वाले पैसों से धनंजय की जरुरतें पूरी नहीं होती थी, जिसके बाद साल 2014 में सैफई के मेजर ध्यानचंद स्पोर्ट्स कॉलेज में धनंजय ने ट्रायल दिया,
मां-बाप बांट रहे मिठाई
मां-बाप के साथ-साथ गांव के लोगों को भी धनंजय की सफलता पर नाज है, धनंजय की मां ने कहा कि बेटे के चयन से बेहद खुश हूं, उन्हें इस बात की सूचना फोन के जरिये मिली,
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