New Delhi, Feb 16 : बिहार सरकार के पास आज न तो विकास के लिए पैसों की पहले जैसी कमी है और न ही कल्याण के लिए। राज्य के बजट और सरकारी घोषणाओं से तो यही लगता है। इस राज्य में एक समय ऐसा भी था जब सरकारी कर्मचारियों को समय पर वेतन भी नहीं मिल पा रहे थे। 2004 में केंद्र सरकार ने बिहार सरकार से कहा था कि केंद्रीय मदद के पैसों का इस्तेमाल वेतन बांटने के काम में नहीं होना चाहिए।
टैक्स वसूली के काम में ईमानदारी इसी तरह बढ़ती जाए तो आगे बिहार की आर्थिक स्थिति और भी अच्छी हो सकती है। हालांकि अब भी कर वसूली में कोताही है।
1999-2000 वित्तीय वर्ष में वाणिज्य कर से बिहार सरकार की आय मात्र 1982 करोड़ रुपए थी।जबकि, उसी अवधि में इस मद में आंध्र प्रदेश को करीब 6 हजार करोड़ रुपए मिले थे।
अब इस राज्य में इस मद में करीब 25 हजार करोड़ रुपए की आय है। इसमें और भी वृद्धि की गुंजाइश बनी हुई है।
विकास व कल्याण की अन्य कई योजनाओं के साथ- साथ बिहार सरकार ने इसी अप्रैल से मुख्य मंत्री वृद्धजन पेंशन योजना लागू करने का निर्णय किया है। पहले की इस योजना में कुछ लोग छूट जाते थे।अब इसका लाभ सभी वर्गों के लोगों को मिलेगा। हमारे यहां प्राचीन काल में ही एक विवेकपूर्ण बात कह दी गई थी।वह यह कि जमीन की सतह का पानी वाष्प बन कर ऊपर जाता है।वही बाद में तपती धरती पर बरसात के रूप में राहत देता है। किसी अच्छी सरकार का भी यही काम है कि वह ईमानदारी से टैक्स वसूले और बाद में जनता के लिए राहत की बरसात करे ।
(वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र किशोर के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)
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