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एयर स्ट्राइक – इतिहास से सीखने की हमारी आदत कम है, उसे दोहराने की अधिक

यू.पी.ए. शासन काल में राफेल का सौदा दस साल तक क्यों टलता रहा था ? कारण के बारे में कम कहना और अधिक समझना !

New Delhi, Mar 05 : बाबर के पास तोप थी ,किंतु राणा सांगा के पास तलवार। राणा सांगा के पास तोप होती तो शायद वे नहीं हारते। फिर तो इस देश का इतिहास कुछ और होता। विजयी लोगों का इतिहास ज्यादा चमकीला बनाया जाता है। इसीलिए दिल्ली में बाबर के नाम पर तो सड़क है, पर राणा सांगा के नाम पर नहीं। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि यदि हमारे पास राफेल विमान होते तो हम इस बार अधिक कारगर होते।

पर यू.पी.ए. शासन काल में राफेल का सौदा दस साल तक क्यों टलता रहा था ? कारण के बारे में कम कहना और अधिक समझना ! बहुत सी बातें तो अखबारों में आ ही चुकी हैं। हमारा देश बार-बार आपसी फूट और हथियारों की कमी के कारण हारा। 1962 का चीन युद्ध इसका ताजा उदाहरण है। बाद में सी.पी.एम.में शामिल नेताओं ने तब कहा था कि चीन ने भारत पर नहीं बल्कि भारत ने ही चीन पर हमला किया। जब हथियार बेहतर हुए तो हम जीते। जैसे 1965 और 1971 । ब्रिटिश इतिहासकार सर जे.आर.सिली ने लिखा है कि ‘भारत की पराधीनता के प्रमुख कारण भारतीय सामंतों के परस्पर संघर्ष, भारतीय जनता के धार्मिक तथा सामाजिक अन्तरविरोध और देश के लिए बाहरी खतरों के प्रति उदासीनता आदि थे।’

याद रहे कि ईस्ट इंडिया कंपनी क भारत विजय पर सिली ने किताब लिखी है। आज की स्थिति में तब की अपेक्षा कितना परिवत्र्तन हुआ है ? ? ? ! ! ! 26 दिसंबर, 2008 को मुम्बई में आतंकी हमला हुआ। ए.टी.एस. प्रधान हेमंत करकरे ने जो बुलेट प्रूफ जैकेट पहन रखा था,उसे छेद कर आंतकी की गोली उनके शरीर में लग गई और उन्हें बचाया नहीं जा सका। उस छेद वाली बुलेट प्रूफ बंडी को कुछ लोगों ने घटना के बाद ही गायब कर दिया था। चूंकि बुलेट प्रूफ बंडियों की खरीद में घोटाला हुआ था, इसलिए तत्संबधित फाइल भी सरकारी आॅफिस से गायब कर दी गई।
उधर 2009 में ही भारतीय सेना ने अपने लिए एक लाख बुलेट प्रूफ बंडी की केंद्र सरकार से मांग की थी। पर,नहीं मिली। कारण वही जो थे राफेल खरीद को लेकर थे।

मौजूदा सरकार ने एक लाख 86 हजार बुलेट प्रूफ बंडी के आॅर्डर दिए हैं। अब चर्चा जैश ए मोहम्मद के बालाकोट शिविर पर हमले की। नेशनल टेक्निकल रिसर्च आॅर्गनाइजेशन द्वारा किए गए सर्विलांस के अनुसार करीब 300 मोबाइल बालाकोट में सक्रिय थे। यानी तीन सौ व्यक्ति वहां थे जब भारत ने हमला किया। पर हमारे कुछ प्रतिपक्षी नेता सबूत मांग रहे हैं।
2015 में अरब सागर में पाकिस्तानी आतंकियों ने अपनी नाव को खुद ही विस्फोटकों से उड़ा लिया था। क्योंकि भारतीय सुरक्षाकर्मी उनका पीछा करने लगे थे। वे मुम्बई हमले की तरह एक और हमला करने के लिए समुद्री मार्ग से आगे बढ़ रहे थे। पर इसी एन.टी.आर.ओ. के सर्विलांस के कारण उनकी गतिविधि पकड़ में आ गई थी। एन.टी.आर.ओ.का गठन 2004 में हुआ था।यह संगठन पी.एम.ओ. के तहत काम करता है।
पर यू.पी.ए. शासन काल में इसका कितना इस्तेमाल हुआ,यह पता नहीं चला सका है। ए.के.एंटानी समिति ने 14 अगस्त 2014 को सोनिया गांधी को रपट दी थी।उसमें अन्य बातों के अलावा यह भी कहा गया था कि हमारी हार का एक कारण मुस्लिम तुष्टिकरण भी है। पर क्या कांग्रेस ने एंटोनी जैसे ईमानदार नेता की रपट पर ध्यान दिया ? नहीं दिया । क्यों ? क्योंकि इतिहास से सीखने की हमारी आदत कम है।उसे दोहराने की अधिक।

(वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र किशोर के फेसबुक वॉल से साभार,  ये लेखक के निजी विचार हैं)
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