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तेजस्वी की वजह से दिलचस्प हुआ बेगूसराय का संग्राम, आसान नहीं है कन्हैया कुमार की राह

कन्हैया कुमार पिछले चार साल से लगातार मोदी सरकार के खिलाफ मुखर हैं, राष्ट्रद्रोह के आरोप में जेल से बाहर निकलने के बाद कन्हैया जब बिहार पहुंचे, तो उन्होने लालू यादव के पैर छुए थे।

New Delhi, Apr 13 : बिहार में लोकसभा चुनाव सात चरणों में होना है, सबसे ज्यादा चर्चा जिस सीट की हो रही है, वो बेगूसराय है, दरअसल बीजेपी ने यहां से केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह को उतारा है, तो सीपीआई की ओर से कन्हैया कुमार चुनावी मैदान में हैं, तो राजद ने तनवीर हसन को उम्मीदवार बनाया है। यानी लड़ाई त्रिकोणीय है, नवादा से हटाने और बेगूसराय से टिकट दिये जाने को लेकर गिरिराज सिंह नाराज थे, कहा जा रहा था कि उन्हें डर था कि कहीं इस सीट से चुनाव हार ना जाएं, इसलिये वो इस सीट से चुनाव नहीं लड़ना चाह रहे थे।

कन्हैया को महागठबंधन से नहीं मिला टिकट
कन्हैया पिछले चार साल से लगातार मोदी सरकार के खिलाफ मुखर हैं, राष्ट्रद्रोह के आरोप में जेल से बाहर निकलने के बाद कन्हैया जब बिहार पहुंचे, तो उन्होने लालू यादव के पैर छुए थे, जिसे लेकर खूब हायतौबा मची थी, वो कई बार तेजस्वी और लालू प्रसाद से साथ मंच पर भी दिखे, तब कहा जा रहा था कि वो महागठबंधन के उम्मीदवार होंगे, हालांकि ना सिर्फ कन्हैया को टिकट नहीं मिला, बल्कि सीपीआई को भी राजद ने महागठबंधन से बाहर का रास्ता दिखा दिया।

तनवीर हसन हैं पुराने खिलाड़ी
बेगूसराय से राजद के टिकट पर ताल ठोंक रहे तनवीर हसन लालू के पुराने सिपाही हैं, राजद ने उन्हें चार बार विधान परिषद का सदस्य बनाया, 2014 में भी वो इसी सीट से चुनाव लड़े थे, तब उनकी लड़ाई बीजेपी के भोला सिंह के साथ थी, तनवीर हसन 60 हजार वोट से चुनाव हार गये थे, भोला सिंह को 4.28 लाख वोट मिले थे, जबकि तनवीर हसन 3.69 लाख वोट हासिल करने में सफल रहे थे, कहा जा रहा है कि इस बार भी राजद चाहती है, कि किसी भी परिस्थिति में कन्हैया यहां से चुनाव ना जीत पाए।

भूमिहार वोट बैंक पर दांव
गिरिराज सिंह और कन्हैया कुमार दोनों भूमिहार जाति से आते हैं, बेगूसराय लोकसभा सीट में करीब पौने चार लाख भूमिहार वोटर है, बीजेपी को सवर्ण वोट मिलता रहा है, इस लिहाज से इस वोट पर गिरिराज सिंह को ज्यादा फायदा मिलता दिख रहा है, इसके साथ ही पिछड़ा, अतिपिछड़ा वोट जदयू का माना जाता है, यानी इसका लाभ भी गिरिराज सिंह को मिलेगा।

त्रिकोणीय लड़ाई
बेगूसराय में लड़ाई त्रिकोणीय माना जा रहा है, राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अगर कन्हैया को राजद या कांग्रेस का साथ मिल जाता, तो लड़ाई गिरिराज सिंह के लिये मुश्किल हो सकती थी, लेकिन तेजस्वी ने किसी बॉरो प्लेयर की जगह अपने सिपाही को मैदान में उतार दिया है, जिस वजह से चुनावी चौसर ज्यादा मुश्किल हो गया है।

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