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भारत की स्टार एथलीट ने किया चौंकाने वाला खुलासा, गांव की लड़की से है रिश्ता

दुती चंद भारत की पहली महिला खिलाड़ी है, जिन्होने अपने समलैंगिक रिश्तों की बात को स्वीकार किया है।

New Delhi, May 19 : भारत की स्टार एथलीट दुती चंद ने अपने निजी जीवन को लेकर बड़ा खुलासा कर सबको हैरान कर दिया है, एशियाई खेलों में भारत के लिये दो सिल्वर मेडल जीतने वाली देश की सबसे तेज महिला एथलीट को अपना हमसफर मिल गया है, हालांकि चौंकाने वाली बात ये है कि उनकी जिंदगी में कोई खास लड़का नहीं बल्कि लड़की है, ये लड़की उनके गांव की रहने वाली है, दुती चंद ने फिलहाल अपनी महिला साथी की पहचान सार्वजनिक नहीं की है।

समलैंगिक रिश्ते को स्वीकार किया
मालूम हो कि दुती चंद भारत की पहली महिला खिलाड़ी है, जिन्होने अपने समलैंगिक रिश्तों की बात को स्वीकार किया है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार दुती चंद के अपने ही लिंग की शख्स से संबंध हैं, उन्होने कहा कि मुझे ऐसा कोई मिल गया, जो मुझे जान से भी प्यारा है, मुझे लगता है कि हर किसी को रिश्तों की आजादी होनी चाहिये, वो किसके साथ रहना चाहता है, मैंने हमेशा लोगों के अधिकारों की पैरवी की है, जो समलैंगिक रिश्तों में रहना चाहते हैं, ये किसी व्यक्ति विशेष की इच्छा है, फिलहाल मेरा फोकस विश्व चैंपियनशिप और ओलंपिक पर है, लेकिन भविष्य में मैं उसके साथ सेटल होना चाहूंगी।

किसी का सहारा भी चाहिये
23 वर्षीय इस एथलीट ने कहा कि उन्होने एलजीबीटी समुदाय के अधिकारों के लिये तब आवाज उठाने के लिये हिम्मत जुटाई, जब पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए सेक्शन 377 को अपराध के दायरे से बाहर कर दिया, दुती चंद ने कहा कि मेरा सपना था, कि मुझे कोई ऐसा मिले, जो पूरे जीवन का साथी बने, मैं किसी ऐसे के साथ रहना चाहती हूं, जो बतौर खिलाड़ी मुझे प्रेरित करे, मैं पिछले 10 साल से धावक हूं, पहले 5 से 7 साल तक दौड़ती रहूंगी, मैं प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने के लिये पूरी दुनिया घूमती हूं, ये आसान नहीं है, मुझे किसी का सहारा भी चाहिये।

गरीब परिवार से आती हैं दुती
दुती का जन्म ओडिशा के चाकागोपालपुर में हुआ था, उन्होने सिर्फ चार साल की उम्र से ही रनिंग शुरु कर दी थी, दुती चंद बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखती थी, उनके पिता एक बुनकर थे और रोजाना दस रुपये कमाते थे, दुती अपनी बड़ी बहन सरस्वती को अपना आइडल मानती है, सरस्वती भी एक एथलीट थीं, जो दुती को प्रैक्टिस कराती थी, दुती ने 2013 में स्कूल नेशनल गेम्स में टाटा नैनो कार जीती थी, जिसके बाद उनका नाम नैनो पड़ गया।

2014 में आईएएफ ने किया था निलंबित
साल 2014 में आईएएफ ने अपनी हाइपरएंड्रोगेनिजम नीति के तहत दुती चंद को निलंबित कर दिया था, जिसकी वजह से उन्होने उस साल कॉमनवेल्थ गेम्स के भारतीय दल से बाहर कर दिया गया था, इसके बाद दुती ने आईएएफ के इस फैसले के खिलाफ अपील की, इस मामले में जीत दर्ज कर वो लौटी, दुती के बैन के दौरान बैंडमिंटन के महान खिलाड़ी और कोच गोपीचंद ने उनकी मदद की, उन्हें प्रैक्टिस का मौका दिया और उस दौरान उनका पूरा खर्च उठाया।

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