New Delhi, Jun 04 : मोदी सरकार में नीतीश कुमार की पार्टी के शामिल नहीं होने के बाद से सवाल उठ रहे हैं, कि सुशासन बाबू का अगला कदम क्या होगा, बिहार में उन्होने अपने कैबिनेट का जिस अंदाज में विस्तार किया, उससे इस बात की तस्दीक होती है, कि बिहार एनडीए में ऑल इज नॉट वेल है, इफ्तार पार्टियों के बहाने जो सियासत का रुप दिख रहा है, वो बिहार के भविष्य की राजनीति के संकेत दे रहे हैं।
कांग्रेस से नजदीकियां बनाने में जुटे
इस बीच कांग्रेस ने जिस अंदाज में नीतीश कुमार के फैसले का बचाव किया है, जीतन राम मांझी से नई दोस्ती की पहल की है, और रघुवंश प्रसाद ने नीतीश को राजद के साथ आने का खुला ऑफर दिया है, अब राबड़ी देवी भी कह चुकी हैं,
जनता की नब्ज टटोल रहे
अगले साल सितंबर-अक्टूबर में बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं, इस चुनाव में नीतीश क्या फैसला लेंगे, ये तो भविष्य के गर्भ में हैं,
जनादेश मोदी के नाम पर
वरिष्ठ पत्रकार के मुताबिक 16 सीटों के साथ बिहार में जदयू भले बीजेपी के लगभग बराबर पर आ गई हो, लेकिन ये बात तो नीतीश को भी पता है कि ये सीटें मोदी के नाम पर जीती गई है, ना कि नीतीश के नाम पर।
राजद के साथ नहीं जाएंगे
वरिष्ठ पत्रकार के मुताबिक नीतीश बेहद मंझे हुए राजनेता के साथ-साथ अच्छे रणनीतिकार भी हैं, वो बिहार की जनता का मूड समझने की कोशिश कर रहे हैं, एनडीए से अलग होने के बाद चुनाव से पहले वो राजद के साथ नहीं जाएंगे,
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