New Delhi, Jun 04 : पंचों की राय सिर माथे पर लेकिन खूंटा वहीँ रहेगा । मायावती का यह पुराना मिजाज है । कोई नई बात नहीं है। यादव वोट का ट्रांसफर न हो पाना महज बहाना है। मायावती का यह गाना पुराना है। मिजाज ही है , आपन भला , भला जगमाही। याद कीजिए कि जिस अटल बिहारी वाजपेयी ने मायावती को न सिर्फ़ जीवनदान दिलवाया , मुख्य मंत्री बनवाया उन्हीं अटल जी को जब लोकसभा में मायावती की ज़रूरत पड़ी तो मायावती ने वादा कर के भी ऐन वक्त पर ठेंगा दिखा दिया था।
रही बात अखिलेश यादव की तो वह तो अभी भी मायावती के चरणों में लेटे रहेंगे। कभी उपचुनाव न लड़ने वाली मायावती अब उपचुनाव भी लड़ेंगी ।
और सपा का कोई उम्मीदवार खड़ा ही नहीं करें। स्थितियां ऐसी ही बन रही हैं। बाक़ी माया महा ठगिनी हम जानीं ! तो है ही ।
गनीमत यही है कि मोदी की इच्छा के मुताबिक़ दोनों , एक दूसरे के कपड़े नहीं फाड़ रहे। वैसे मेरी सूचना यह भी है कि सपा बसपा की इस टूट के बाद सपा पार्टी में बहुत ज़्यादा टूट-फूट होने जा रही है।
(वरिष्ठ पत्रकार दयानंद पांडेय के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)
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