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Opinion – अंबाती रायडू का संन्यास बीसीसीआई और चयन समिति के मुंह पर जोरदार तमाचा

जिसको भारतीय क्रिकेट की जरा सी भी समझ थी, वह यह मान कर चल रहा था कि विश्व कप मे रायडू का चयन पक्का है।

New Delhi, Jul 03 : अंबाती रायडू का संन्यास बीसीसीआई, चयन समिति और भारतीय टीम के कप्तान-कोच के मुंह पर जोरदार तमाचा . इग्लैण्ड में चल रहे 2019 विश्व कप के लिए भारतीय टीम मे न चुने जाने से आहत 33 वर्षीय अंबाती रायडू ने आज अपना बल्ला खूटी पर लटकाने की घोषणा करते हुए देश की क्रिकेट मे हावी ‘बाजारवाद’ पर भी करारा प्रहार किया. बाजारवाद शब्द का यहाँ इसलिए प्रयोग करना जरूरी है कि इधर अर्से से बीसीसीआई मे अजब गजब खेल लगातार होते रहे हैं. इसी कड़ी मे रायडू की उपेक्षा एक उदाहरण है.

33 वर्षीय हैदराबादी रायडू जो इन दिनों बड़ौदा की ओर से घरेलू क्रिकेट खेल रहे थे, आज से डेढ़ दशक पहले देश की सबसे होनहार प्रतिभा थे. हैदराबाद क्रिकेट संघ से मनमुटाव और जीटीवी की 20-20 क्रिकेट लीग से जुड़ जाने के चलते रायडू को काफी समय तक बोर्ड का कोपभाजन बन कर वनवास भोगना पड़ा था. वापसी के बाद इस बल्लेबाज ने भारतीय टीम मे जबरदस्त वापसी की. लेकिन बोर्ड मे कुछ बाजारू तत्व उनके पीछे तब भी पड़े हुए थे. फार्म के बावजूद एकबार उनको फिटनेस ( यो यो टेस्ट ) के आधार पर टीम मे शामिल नहीं किया गया था. यह जुझारू फिर लौटा और अपने दमदार खेल से उसने आलोचकों को एक बार फिर खामोश कर दिया.

जिसको भारतीय क्रिकेट की जरा सी भी समझ थी, वह यह मान कर चल रहा था कि विश्व कप मे रायडू का चयन पक्का है. मगर जब 15 सदस्यीय टीम की घोषणा हुई तब आजमाये हुए अश्व रायडू के स्थान पर एक औसत दर्जे के तथाकथित हरफनमौला विजय शंकर को इस चार वर्षीय ‘क्रिकेट महा कुम्भ’ के लिए चुन लिया गया.
ऋषभ पंत, आजिन्क्य रहाणे और नवदीप आदि के साथ रायडू को स्टैंड बायी मे रखा गया. शिखर धवन के चोटिल होने के बाद खैर, पंत को बुला लिया गया. लेकिन जब विजय शंकर को चोट के नाम पर स्वदेश भेजा गया तब उसके स्थान पर रायडू या रहाणे नहीं बल्कि उस मयंक अग्रवाल को टीम मे शामिल किया गया जिसने देश के लिए दो टेस्ट मैच जरूर खेले मगर सीमित ओवरो का एक भी मैच अभी तक नहीं खेला है. मयंक का चयन यह जताता है कि चयन समिति की कोई औकात नहीं. आप लाखों रुपये महीना लीजिए और चुप रहिए.

जाहिर है कि यह फैसला भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली और कोच ‘ महीन कारीगर ‘ रवि शास्त्री की मर्जी से बोर्ड ने लिया. मै नहीं जानता कि मयंक को मौका मिलेगा या नही. क्योंकि टीम को, यदि फाइनल मे पहुँची, तो कुल तीन मैच खेलने हैं. क्या दौरा चयन समिति मयंक को रोहित के बतौर साथी उतारेगी और बांग्लादेश के खिलाफ रोहित के साथ 180 रन की रेकार्ड साझेदारी निभाने वाले के एल राहुल को चौथे क्रम पर भेजेगी ? इसका जवाब तो आने वाला समय ही देगा.परन्तु मयंक को बुला कर एक धाकड़ बल्लेबाज रायडू को असमय खेल छोड़ने पर विवश जरूर कर दिया गया, यह बेझिझक स्वीकार करना ही होगा.

(वरिष्ठ खेल पत्रकार पद्मपति शर्मा के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)
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