New Delhi, Sep 22 : सोनाक्षी सिन्हा कल से सुर्खियों में हैं! वजहात- “हनुमान संजीवनी बूटी किसके लिए लेकर आये थे, वे इस प्रश्न का उत्तर न दे सकीं!” कल से उनका मजाक उड़ाया जा रहा है, आलोचना की जा रही है, लेकिन एक बड़ा सच यही है कि, सोनाक्षी सिन्हा के इस अज्ञान में, आज के भारत की नई पीढ़ी का अक्स देखा जा सकता है!
आज का एक बड़ा तबका, राम एवं रामकथा से कोसों दूर है! कितने परिवारों में माता पिता या अभिभावक बच्चों को हमारे पूर्वजों की कथाएँ सुनाते हैं?
भारत में आज भी ऐसे पढ़े लिखे युवाओं की कमी नही, जो अयोध्या का नाम आते ही, विवाद में न पड़ते हुए कहते हैं, “अयोध्या में मंदिर नही, अस्पताल बनना चाहिए”
अपने बच्चों को मशीन की तरह एक प्रोडक्ट के रूप में पाल रही पीढ़ी को समझना होगा कि विद्यालयों के शैक्षणिक कोर्स का ज्ञान हममे संस्कार संस्कृति नही गढ़ते!
माता पिता दादी चाचा गुरु, प्रेरक पुस्तकें घर के लोग गढ़ते हैं!
बच्चों को अपनी संस्कृति से कितना जोड़ रहे हैं आप- इस पर विचार कीजिए
यह दायित्व आप पर है! बच्चों का दोष नही!
(लोकगायिका मालिनी अवस्थी के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)
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