नवरात्र के पहले दिन होगी कलश स्‍थापना, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि विस्‍तार से

पावन नवरात्र की 28 सितंबर, रविवार से शुरुआत हो रही है । आगे जानें किस विशेष मुहूर्त में आप कलश स्‍थापना कर सकते हैं । साथ ही पूजा विधि क्‍या होगी । इस बार नवरात्र कितने दिनों के हैं ये भी जानिए ।

New Delhi, Sep 28: माता के भक्‍तों का पर्व नवरात्रि 28 सितंबर, रविवार से है । शक्ति की देवी मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्‍वरूपों की आराधना इन दिनों में की जाती है । हिन्‍दू मान्‍यताओं के अनुसार व्रत की शुरुआत घट या कलश स्‍थापना के साथ की जाती है । व्रत का समापन अष्‍टमी या नवमी तिथि को किया जाता है । व्रत में घट स्‍थापना का विशेष महत्‍व है ये सही समय पर होना आवश्‍यक है । कलश स्‍थापना का अर्थ है मां देवी दुर्गा का आह्वाहन । रात के समय और अमावस्‍या के दिन घट स्‍थापित करने की मनाही है ।

घट स्‍थापना का सबसे शुभ समय
कलश स्‍थापना का शुभ समय प्रतिपदा का एक तिहाई भाग बीत जाने के बाद होता है । अगर किसी    वजह से कलश की स्‍थापना उस समय में ना हो पाए तो अभिजीत मुहूर्त में भी ऐसा कर सकते हैं । दिन का आठवां मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त कहलाता है ।  हालांकि इस बार दुविधा ये है कि घट स्‍थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त उपलब्‍ध नहीं है । इस बार 29 सितंबर को कलश स्‍थापना की जाएगी ।

कलश स्‍थापना की तिथि और शुभ मुहूर्त
धर्म जानकारों के अनुसार कलश स्‍थापना की तिथि: 29 सितंबर 2019 होगी । कलश स्‍थापना का शुभ मुहूर्त: 29 सितंबर 2019 को सुबह 06 बजकर 16 मिनट से 7 बजकर 40 मिनट तक होगा, इसकी कुल अवधि: 1 घंटा 24 मिनट रहेगी । आप कलश मिट्टी का, तांबे का, स्‍टील का कोई भी प्रयोग में ला सकते हैं, बस ये एकदम स्‍वच्‍छ होना चाहिए । कलश स्‍थापना के लिए मिट्टी का पात्र, जौ, मिट्टी, जल से भरा हुआ कलश, अशोक या आम के पांच पत्ते, , मौली, इलायची, लौंग, कपूर, रोली, साबुत सुपारी, साबुत चावल, सिक्‍के,  नारियल, चुनरी, सिंदूर, फल-फूल, फूलों की माला और श्रृंगार पिटारी भी चाहिए ।

कलश स्‍थापना का नियम
नवरात्रि के पहले दिन यानी कि प्रतिपदा को सुबह स्‍नान कर लें । मंदिर की साफ-सफाई करने के बाद सबसे पहले गणेश जी का नाम लें और फिर मां दुर्गा के नाम से अखंड ज्‍योत जलाएं । कलश स्‍थापना के लिए मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर उसमें जौ के बीज बोएं । अब एक तांबे के लोटे पर रोली से स्‍वास्तिक बनाएं, लोटे के ऊपरी हिस्‍से में मौली बांधें । लोटे में पानी भरकर कुछ बूंदें गंगाजल की मिलाएं । फिर उसमें सवा रुपया, दूब, सुपारी, इत्र और अक्षत डालें । इसके बाद कलश में अशोक या आम के पांच पत्ते लगाएं । अब एक नारियल को लाल कपड़े से लपेटकर उसे मौली से बांध दें । फिर नारियल को कलश के ऊपर रख दें । अब इस कलश को मिट्टी के उस पात्र के ठीक बीचों बीच रख दें जिसमें आपने जौ बोएं हैं । कलश स्‍थापना के साथ ही नवरात्रि के नौ व्रतों को रखने का संकल्‍प लिया जाता है । संभव हो तो कलश स्‍थापना के साथ ही देवी मां के नाम की अखंड ज्‍योति भी जला सकते हैं ।

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