Categories: सियासत

Opinion – सावरकर के लिए भारत-रत्न एक कागज के टुकड़े के अलावा क्या है?

प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने तो खुद को ही यह पुरस्कार दे दिया था। यह पुरस्कार कौन देता है ? उसकी प्रामाणिकता क्या है ?

New Delhi, Oct 16 : महाराष्ट्र के चुनावों में भी वही हो रहा है, जो हरयाणा के चुनावों में हो रहा है। वोटरों को पटाने के लिए कांग्रेस, भाजपा और शिवसेना तरह-तरह के रसगुल्ले उछाल रही हैं। यहां उनकी गिनती गिनाना निरर्थक ही होगा। इस घोषणा-पत्रों या संकल्प-पत्रों में जिस मुद्दे पर विवाद छिड़ गया है, वह है, सावरकर को भारत-रत्न दिलवाने का मुद्दा। भाजपा और कांग्रेस में इस मुद्दे पर भिड़ंत हो गई है।

मेरी राय है कि कांग्रेस और भाजपा, दोनों के ही नेता हवा में लट्ठ उछाल रहे हैं। शून्य में विहार कर रहे हैं। उन्हें सावरकर के जीवन और विचारों के बारे में कोई खास जानकारी नहीं है। इस संबंध में मैंने अपने ग्रंथ ‘भाजपा, हिंदुत्व और मुसलमान’ में काफी शोधपूर्ण सामग्री दी है लेकिन मैं यहां सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि सावरकर के लिए भारत-रत्न एक कागज के टुकड़े के अलावा क्या है ? भारत सरकार का यह सर्वोच्च पुरस्कार ऐसे-ऐसे जीवित और मृत लोगों को दिया जा चुका है, जो त्याग, तपस्या, साहस और पांडित्य के हिसाब से विनायक दामोदर सावरकर के पासंग के बराबर भी नहीं हैं।

प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने तो खुद को ही यह पुरस्कार दे दिया था। यह पुरस्कार कौन देता है ? उसकी प्रामाणिकता क्या है ? इस पुरस्कार के मानदंड क्या हैं ? इसके अलावा इस तरह के सरकारी पुरस्कारों को पाने के लिए जो नाक रगड़ाई, तलुवा-चाटन और दलाली करनी पड़ती है, क्या वह कोई स्वाभिमानी आदमी कर सकता है ? जितने महानुभावों को आज तक ये सरकारी सम्मान या पुरस्कार या उपाधियां मिली हैं, उनमें से कितनों के नाम लोगों को याद हैं ? क्या उन महानुभावों को लोग भूल गए हैं, जिन्हें कोई सरकारी सम्मान नहीं मिला लेकिन जिन्होंने देश के लिए बड़ी-बड़ी कुर्बानियां की हैं ?

यह ठीक है कि सावरकर और साबित्रीबाई फुले को भारत-रत्न देने का संकल्प भाजपा को महाराष्ट्र में वोट दिलाने में मदद करेगा। लेकिन यह संकल्प चुनाव के वक्त ही क्यों किया जा रहा है ? पिछले पांच साल आपने क्या किया ? पुरस्कारों और सम्मानों के मायाजाल में फंसने की बजाय बेहतर तो यह होगा कि सावरकरजी के जो भी विचार आज सुसंगत और उपयोगी हों, उन्हें प्रचारित करने और उन पर अमल करने की कोशिश की जाए।

(वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार डॉ. वेद प्रताप वैदिक के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)
Leave a Comment
Share
Published by
ISN-2

Recent Posts

इलेक्ट्रिशियन के बेटे को टीम इंडिया से बुलावा, प्रेरणादायक है इस युवा की कहानी

आईपीएल 2023 में तिलक वर्मा ने 11 मैचों में 343 रन ठोके थे, पिछले सीजन…

10 months ago

SDM ज्योति मौर्या की शादी का कार्ड हुआ वायरल, पिता ने अब तोड़ी चुप्पी

ज्योति मौर्या के पिता पारसनाथ ने कहा कि जिस शादी की बुनियाद ही झूठ पर…

10 months ago

83 के हो गये, कब रिटायर होंगे, शरद पवार को लेकर खुलकर बोले अजित, हमें आशीर्वाद दीजिए

अजित पवार ने एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार पर निशाना साधते हुए कहा आप 83 साल…

11 months ago

सावन में धतूरे का ये महाउपाय चमकाएगा किस्मत, भोलेनाथ भर देंगे झोली

धतूरा शिव जी को बेहद प्रिय है, सावन के महीने में भगवान शिव को धतूरा…

11 months ago

वेस्टइंडीज दौरे पर इन खिलाड़ियों के लिये ‘दुश्मन’ साबित होंगे रोहित शर्मा, एक भी मौका लग रहा मुश्किल

भारत तथा वेस्टइंडीज के बीच पहला टेस्ट मैच 12 जुलाई से डोमनिका में खेला जाएगा,…

11 months ago

3 राशियों पर रहेगी बजरंगबली की कृपा, जानिये 4 जुलाई का राशिफल

मेष- आज दिनभर का समय स्नेहीजनों और मित्रों के साथ आनंद-प्रमोद में बीतेगा ऐसा गणेशजी…

11 months ago