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Opinion : हम क्यों भूल गए सिद्धू को ?

उस समय सिद्धूजी को लोगों ने खूब भला बुरा कहा उसके बाद दोनों देशों के बीच खूब तनाव हुआ, गोला बारूद चले लेकिन करतारपुर साहेब कोरिडोर का काम चलता रहा .

आज़ादी के बाद यह पहली बार होगा कि पाकिस्तान और भारत के बीच बगैर वीसा के नागरिक सरहद पार कर पायेंगे और इसका माध्यम बने हैं सारी दुनिया को एक परम पिता परमात्मा की सीख के जरिये प्रेम, अपनत्व और शान्ति का सन्देश देने वाले बाबा गुरुनानक देव .

पाकिस्तान में करतारपुर वो स्थान है, जहां सिखों के पहले गुरू श्री गुरुनानक देव जी ने अपने जीवन के आखिरी 17-18 वर्ष गुजारे थे और सिख समुदाय को एकजुट किया था। करतारपुर में जिस जगह गुरुनानक देव की मृत्यु हुई थी वहां पर गुरुद्वारा बनाया गया था।यह गुरुद्वारा शकरगढ़ तहसील के कोटी पिंड में रावी नदी के पश्चिम में स्थित है। गुरुद्वारा सफेद रंग के पत्थरों से निर्मित है, जो देखने में बेहद ही खूबसूरत नजर आता है। अभी तक भारत के सिख दूरबीन से नदी के उस पार गुरुद्वारा साहब के दर्शन करते थे .

करतारपुर साहिब के बारे में पहली बार साल 1998 में भारत ने पाकिस्तान से बातचीत की थी और उसके 20 साल बाद ये मुद्दा फिर गर्म है। उसके बाद जब इमरान खान के शपथ विधि समारोह में सरदार नवजोत सिंह सिद्धू गए तो उन्होंने केवल करतारपुर के लिए रास्ता देने की मांग रखी और इमरान खान ने अपने दोस्त को वायदा कर दिया . उस समय सिद्धूजी को लोगों ने खूब भला बुरा कहा उसके बाद दोनों देशों के बीच खूब तनाव हुआ, गोला बारूद चले लेकिन करतारपुर साहेब कोरिडोर का काम चलता रहा .

याद पिछले साल २८ नवंबेर को सिद्धू इस कोरिडोर के शिलान्यास पर पाकिस्तान गए थे और बोले थे कि करतार पुर कॉरिडोर में असीम संभावनाएं बताते हुए कहा कि मुझे लगता है कि यह कॉरिडोर भारत और पाकिस्तान के बीच की दुश्मनी को खत्म करने में अहम किरदार निभा सकता है। यह दोनों देशों को जोड़ने और शांति बहाल करने में अहम भूमिका निभाएगा।
आज कोरिडोर तैयार है – भारत के केवल सिख ही नहीं आम लोगों के लिए भी गुरुनानक देव का यह स्थान बहुत मायने रखता है ,आ ज उद्घाटन और पहले दर्शन की सूची बन रही है लेकिन सिद्धू का नाम कहीं नहीं हैं, दुर्भाग्य तो यह है कि कांग्रेस इतनी बड़ी उपलब्धि की चर्चा तक नहीं कर रही — याद रहे अमरिंदर सिंह तो इस कोरिडोर के खिलाफ थे और इसे आई एस आई की साजिश कह रहे थे — आज श्रेय लेने की होड है लेकिन असल सिंह नवजोत सिंह सिद्धू गुमनामी में हैं.
(वरिष्ठ पत्रकार पंकज चतुर्वेदी के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)

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