New Delhi, Oct 29 : नीतीश कुमार की राजनीति और उनकी कार्यशैली से आप भले इत्तेफाक न रखते हों, लेकिन इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि वे एक विजनरी मुख्यमंत्री हैं। आम आदमी की परेशानियों को बेहतर ढंग से समझते हैं। उसे दूर करने के उपाय भी ढूंढते रहते हैं। शासन प्रक्रिया में निरंतर सुधार के लिए सचेष्ट रहते हैं।
इस हिसाब से उन्हें जितनी सफलता मिलनी चाहिए, वह नहीं मिल रही। वे नौकरशाही पर आंख मूंद कर भरोसा करते हैं।
हाल ही में हुआ पटना का ऐतिहासिक जलजमाव इसका ताजा उदाहरण हैं। स्वास्थ्य, शिक्षा चौपट है। भ्रष्टाचार और अपराध बेकाबू है। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो की अभी जारी हुई 2017 की रिपोर्ट इसका खुलासा करती है। रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में देश मे सबसे ज्यादा दंगे बिहार में दर्ज हुए हैं। इनकी संख्या 11,698 है। ये साम्प्रदायिक दंगे नहीं हैं, अपितु भूमि और संपत्ति विवाद की वजह से हुए ग्रुप क्लैश हैं। 2016 में भी बिहार इसमें टॉप पर था।
दहेज हत्या और हत्या के मामले में बिहार देश में दूसरे नंबर पर है। 2017 में 2803 लोग विभिन्न वारदातों में मारे गए। 1081 औरतें दहेज की बलिवेदी पर चढ़ा दी गईं।
नीतीश जी राज्य की इन समस्याओं से बखूबी परिचित हैं। वे इससे बाहर निकलने की मंशा भी रखते हैं। इसीलिए उन्होंने भूमि विवाद को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता में रखा है।
नीतीश जी की सबसे बड़ी कमजोरी उनका अफसरों पर नियंत्रण न होना है। जिन अफसरों पर वे आंख मूंदकर भरोसा करते हैं, वहीं उनकी बदनामी का कारण बन रहे हैं।
(वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)
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