New Delhi, Nov 27: महाराष्ट्र में नई सरकार का आगाज होगा । शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाने जा रही है । अपने मुखपत्र सामना में शिवसेना ने देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार के शपथ ग्रहण पर जमकर निशाना साधा । बीजेपी को खूब खरीखोटी भी सुनाई । विधायकों को खरीदने की कोशिश का भी आरोप लगाया । सामना में लिखा गया कि जनता का तो कहना था ही लेकिन मंगलवार की सुबह सुप्रीम कोर्ट ने भी राजभवन की नीति पर सवाल खड़े कर दिए । 24 घंटों में बहुमत साबित करने का आदेश दिया गया और तब फडणवीस की गैरकानूनी तरीके से बनाई गई सरकार गिरेगी, ये बताने के लिए किसी ज्योतिषी की आवश्यकता नहीं रह गई ।
72 घंटों में विदाई
शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखा कि जिन अजित पवार के समर्थन से फडणवीस ने
विधायकों के पीछे पैसे लेकर घूम रहे थे
सामना में बीजेपी पर विधायकों की खरीद फरोख्त का भी आराप लगा । उन्होने कहा कि सत्ताधारियों ने भले ही लोकतांत्रिक मूल्यों और सिद्धांत का बाजार लगाया हुआ था, इसके बावजूद सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय से वह ध्वस्त हो गया । एजेंट पैसों का बैग लेकर विधायकों के पीछे घूम रहे थे । बहुमत खरीदकर राज करने का प्रयास विफल हो गया । बीजेपी पर निशाना साधते हुए सामना में कहा गया है कि बहुमत का आंकड़ा न होने के बावजूद फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली । यह पहला अपराध और जिसके समर्थन से शपथ ली, उन अजीत पवार के ऊपर लगे भ्रष्टाचार के सारे आरोपों को चार घंटे में ही रद्द कर दिया, यह दूसरा अपराध । इस अपराध के लिए जगह चुनी गई मुंबई का राजभवन । जहां संविधान की रक्षा की जानी चाहिए, उन संविधान के संरक्षकों ने इस अपराध को कवच पहना दिया । इसलिए आज जिन्होंने संविधान दिवस मनाने का ढोंग किया, सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें भी चपत लगाई है ।
जनता को मिले अच्छी सरकार
सामना में शिवसेना ने लिखा कि लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा होनी चाहिए. लोगों को अच्छी सरकार मिलने का अधिकार है, ऐसा मत सर्वोच्च न्यायालय ने व्यक्त किया । भारतीय जनता पार्टी से हमारा व्यक्तिगत झगड़ा नहीं है लेकिन जाते-जाते फडणवीस ने हम पर आरोप लगाए हैं । उन्होंने शिवसेना के सत्ता हेतु लाचार होने की बात कही है । ये कहना वैसे ही है जैसे उल्टा चोर कोतवाल को डांटे । शिवसेना को सत्ता हेतु लाचार कहनेवाले पहले खुद पर जमी धूल को देख लें । शिवसेना ने कहा है कि महाराष्ट्र की स्थिरता और स्वाभिमान के लिए हम तीन पार्टियों ने एक साथ आने का फैसला लिया । भाजपा की विफलता ये है कि उन्होंने दूसरे राज्यों में जो किया वो महाराष्ट्र में नहीं कर पाए । महाराष्ट्र ने दबाव को झिड़क दिया और विधायकों ने आत्मसम्मान बनाए रखा ।
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