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निर्भया के दरिन्दों का वकील भी क्या उसी जमात मे है ? निर्भया के साथ नृशंसता क्यों भूला?

दरिन्दों की ओर से अब अंतरराष्ट्रीय कोर्ट से गुहार

New Delhi, Mar 17 : हमें अच्छी तरह याद है जब निर्भया के साथ साथ अमानुषिक सामूहिक दुष्कर्म हुआ था तब वकीलों ने घोषणा की थी कि उसके साथ निर्ममता करने वाले आरोपियों की ओर से कोई भी पैरवी नहीं करेगा। लेकिन वकालत पेशा नहीं “धंधा” है , कम से कम निर्भया के दोषी दरिन्दों की ओर से पैरवी कर रहे वकील ए पी सिंह अपने मुअक्किलो को फासी के फंदे से बचाने के लिए हर दिन जिस तरह से नया पैंतरा आजमाते जा रहे हैं, उसके मद्देनजर यह पूरी तरह साबित हो गया। यह भी कि वकालत की डिग्री लेते समय खायी कसम भी बेमानी थी। वकील का काम सिर्फ पापी अभियुक्त को बचा कर नोट चीरने या इस बहाने अपना बाजार खडा करने का ही रह गया है। एपी सिंह भी इसी जमात के हैं जिनको दरिन्दों से इतनी हमदर्दी हो गयी कि उनको बचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय कोर्ट तक की शरण में चले गये !! एपी सिंह क्या तुम्हारी बेटी नहीं है? जरा सोचो इन आधा दर्जन दरिन्दों ने उस मासूम के साथ किस कदर पैशाचिकता के साथ दुष्कर्म किया था कि उनके दिए जख्मी को वो नहीं झेल सकी और उसकी मौत हो गयी। उनकी जघन्यता को लिखने मे भी हाथ कांप रहे हैं । मगर इस वकील को क्या कहें । देखिए क्या नया पैंतरा चला है इस शख्स ने ?
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तीन दरिन्दों पवन, अक्षय और विनय की ओर से वकील एपी सिंह ने अंतरराष्ट्रीय अदालत को पत्र लिखा है। पत्र में 20 मार्च की होने वाली फांसी पर रोक लगाने की मांग की गई है। .
इससे पहले सोमवार को निर्भया गैंगरेप और हत्‍या मामले में दोषी करार मुकेश की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी थी। मुकेश ने शीर्ष अदालत में अर्जी दाखिल कर वरिष्‍ठ अधिवक्‍ता वृंदा ग्रोवर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। जस्टिस अरुण मिश्रा की पीठ ने कहा कि मुकेश की याचिका सुनवाई योग्‍य ही नहीं है।
गौरतलब है कि वृंदा ग्रोवर ने शुरुआत में मुकेश के केस की पैरवी की थी। वर्ष 2012 के निर्भया सामूहिक दुष्‍कर्म और हत्‍या मामले में मुकेश सहित पांच को फांसी की सजा सुनाई गई थी जिनमे एक ने जेल में आत्महत्या कर ली थी ।

इस मामले में एपी सिंह ने कहा कि इस केस मे पॉलिटिकल दवाब और मीडिया के चलते न्याय नहीं हो रहा है। कागज है कि लेकिन कोर्ट मान नहीं रहा है। इसमे मीडिया ट्रायल के चलते न्याय नहीं हो रहा है.। जो लोग फांसी नहीं चाहते हैं वहां के लोगों ने दी है अर्जी ICJ मे। हमारी न्याय व्यवस्था दूरदर्शी रही है उस पर कोई सवाल न उठे तो इस पर न्याय होना चाहिए। हमको न्यायतंत्र पर भरोसा है। कोई ना कोई आयेगा जो बाद मे इश केस की जांच करायेगा तो अभी इच्छा मृत्यु दे दीजिए इसलिए महामहिम राष्ट्रपति के यहां भी परिजनों ने याचिका लगायी है।

एपी सिंह को इसमे राजनीतिक दबाव और मीडिया की भूमिका नजर आ रही है। क्या मीडिया की निर्भया के दोषियों से निजी दुश्मनी है ? हाँ उनको वो दुष्कर्म की इन्सानियत को शर्मसार कर देने वाले जघन्य कांड का वाकया अभी तक याद है। उनको आपकी तरह वकालत नहीं चमकानी है। उन्हें निष्पक्षता के साथ काम करना है जो वो कर रहे हैं और जिनकी जमात का मैं भी एक हिस्सा हूँ ।

(वरिष्ठ पत्रकार पद्मपति शर्मा के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)
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