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केजरीवाल , अराजक भीड़ और अमित शाह की नाकामी के बीच योगी

इतना कुछ गुज़र जाने के बाद भी गुरु घंटाल अमित शाह कहां हैं ? कर क्या रहे हैं ? दिल्ली पुलिस की यह बहुत बड़ी नाकामी है गृह मंत्री महोदय।

New Delhi, Mar 29 : जाने कितना सच है , कितना झूठ। पर दिल्ली से मज़दूरों के पलायन और भगदड़ को ले कर सोशल मीडिया पर अरविंद केजरीवाल को कमीना बता कर सारा दोष उन के मत्थे मढ़ दिया गया है। क्या बिहार और उत्तर प्रदेश के मज़दूर सिर्फ दिल्ली में ही रहते हैं ? मुंबई , कोलकाता आदि में नहीं ? बाकी शहरों में यह भगदड़ क्यों नहीं मची है। सवाल तो केजरीवाल के सिर पर पत्थर की तरह मारा ही जाएगा। लाखों लोग दिल्ली की सड़कों पर लॉक डाऊन को धता बता कर फ़ैल गए हैं। इन मज़दूरों के श्रम का दिल्ली के विकास में कोई योगदान नहीं है ? कि बिजली , पानी की मुफ्तखोरी में आ कर इन मज़दूरों ने आम आदमी पार्टी को वोट नहीं दिया था। वह कौन साढ़े चार लाख लोग हैं जिन्हें दिल्ली की प्रदेश सरकार रोज भोजन करवाने का ढिढोरा पीट रही है। यह लोग तो वह नहीं हैं।

फिर इतना कुछ गुज़र जाने के बाद भी गुरु घंटाल अमित शाह कहां हैं ? कर क्या रहे हैं ? दिल्ली पुलिस की यह बहुत बड़ी नाकामी है गृह मंत्री महोदय। दिल्ली दंगे आप की नाक के नीचे हो जाते हैं। शाहीनबाग आप की निकम्मई का कुतुबमीनार बन कर खड़ा हो जाता है। आप कुछ कर नहीं पाते। दिल्ली की एक सड़क खाली नहीं करवा पाते। फिर मज़दूरों से सड़क भर जाती है। क्या यह लोग भारतीय नहीं हैं , भारत के गृह मंत्री जी ? लेकिन आप असहाय दीखते हैं। काहे के गृह मंत्री हैं आप। सिर्फ 370 और तीन तलाक खत्म करने के लिए। केजरीवाल तो घोषित कमीने हैं पर आप को अब असफल और निकम्मा गृह मंत्री घोषित करने में भी अब देरी की भी क्यों जाए। मोदी के सारे यश को कब तक घोंट-घोंट कर पीते रहेंगे भांग की तरह। इस्तीफ़ा काहे नहीं दे देते।

आप से बेहतर तो उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ साबित हुए हैं जिन्हों ने इन मज़दूरों को संभाल लिया है। गाज़ियाबाद में सैकड़ों बस भेज कर , डाक्टर भेज कर शेल्टर होम बना कर। कुछ करिए मान्यवर आप भी। यह कोरोना है। संसद की जोड़-तोड़ और गुणा भाग नहीं। महामारी अगर पसर गई देश में तो देश में आग लग जाएगी। गृह युद्ध के मुहाने पर खड़ा हो गया है देश आप की दिल्ली पुलिस की लापरवाही के कारण। उत्तर प्रदेश , बिहार के गांव-गांव में झगड़े , गाली-गलौज शुरू हो गया है , इन प्रवासियों के पहुंचने पर।

हर कोई अपनी जान की फ़िक्र में है। बस इस अराजक भीड़ को फ़िक्र नहीं है अपनी जान की , न दूसरे की जान की। होती तो उपवास कर के सही रह लेती। सड़क पर नहीं उतरती इस तरह। भीड़ को क्यों सड़क पर फैलने दिया दिल्ली पुलिस ने ? किस की शह और किस की रणनीति , किस की साज़िश का ग्रास बन गई दिल्ली पुलिस। क्या आप इस बात को भी सिर्फ संसद में ही बताएंगे ? कि कोई निर्णायक कार्रवाई भी करेंगे।

(चर्चित वरिष्ठ पत्रकार दयानंद पांडेय के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)
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