Opinion: कोरोना काल में सब कुछ बुरा ही नहीं हो रहा,उस तरफ बस ध्यान नहीं जाता

बाहर से आये कुछ मजदूरों को रखा गया था। स्कूल का भवन और परिसर बुरे हाल में था। मजदूरों ने आग्रह कर चूना मंगवाया और पूरे भवन को चमका दिया।

New Delhi, May 14 : बेशक कोरोना ने सबको परेशान कर दिया है।लेकिन कोरोना काल में सब कुछ बुरा ही नहीं हो रहा, बहुत कुछ अच्छा भी हो रहा है। लेकिन एक तो सुकून देनेवाली खबरें ठीक से प्रसारित नहीं हो रही हैं और अगर हो भी रही हैं तो हम इतने उलझे हुए हैं कि उस तरफ ध्यान नहीं जाता। यह ठीक है कि कोरोना का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन सुकून वाली बात यह है कि पश्चिमी देशों की तरह यहां इसने अभी जानलेवा रूप धारण नही किया है।

91 फीसदी मरीज सामान्य इलाज से ठीक हो रहे हैं। सिर्फ 4.7 फीसदी मरीजों को ICU में रखना पड़ रहा है। 3.2 फीसदी को ऑक्सीजन देने की जरूरत पड़ रही है और मात्र 1.1 फीसदी मरीज को ही वेंटिलेटर पर रखना पड़ रहा है। coro अन्तराष्ट्रीय स्तर पर 20 फीसदी मरीजों को अस्पताल में विशेष इलाज की जरूरत पड़ रही है। जबकि उनके यहां स्वास्थ्य सेवाएं हमशे काफी बेहतर हैं।
बिहार में जिन 7 मरीजों की मौत हुई है वे अनेक गंभीर बीमारियों से ग्रस्त थे और काफी दिनों से उनका इलाज चल रहा था। विशुद्ध कोरोना से उनकी मौत हुई ऐसा नहीं कहा जा सकता।

ये आंकड़े बहुत उत्साह पैदा करनेवाले हैं। इस संकट ने हमारी सदभावनाएं जाग्रत कर दी हैं। इसका उदाहरण गया जंक्शन के कुलियों ने दिया। कोटा से छात्रों को लेकर पहली ट्रेन जब गया स्टेशन पहुंची तो कुलियों ने लपक कर छात्र-छात्राओं का भारी सामान उठाया और बाहर खड़े बसों तक पहुंचाया। इसका कुलियों ने कोई पैसा नहीं लिया। छात्रों ने जब उन्हें पैसा देना चाहा तो उनका जवाब था-बच्चे अपने घर लौटे हैं , उनसे पैसा नहीं लेंगे। बच्चे भी भावुक हो गए। अनपढ़ कुलियों ने इस व्यवहार से बच्चों को सीख भी दी। इसकी जितनी तारीफ की जाये, वह कम है।

एक अन्य घटना बाल्मीकिनगर की है। वहां के एक स्कूल को कोरेन्टीन सेंटर बनाया गया है। उसमें बाहर से आये कुछ मजदूरों को रखा गया था। स्कूल का भवन और परिसर बुरे हाल में था। मजदूरों ने आग्रह कर चूना मंगवाया और पूरे भवन को चमका दिया। स्कूल परिसर की सफाई कर उसमें फूलों के पौधे लगा दिए। उसे बांस से घेर कर सुरक्षित कर दिया। कल मजदूर चले जायेंगे लेकिन उनका यह योगदान क्या गांववाले कभी भूल सकेंगे? अगर सचमुच आप इंसान हैं तो अपनी सुखद स्मृतियां छोड़ जाइये, जैसा गया के रेल कुलियों और बाल्मीकिनगर के मजदूरों ने किया। कोरोना तो चला जायेगा लेकिन ये स्मृतियां कभी नहीं जायेंगीं।
(वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)

Leave a Comment
Share
Published by
ISN-1

Recent Posts

इलेक्ट्रिशियन के बेटे को टीम इंडिया से बुलावा, प्रेरणादायक है इस युवा की कहानी

आईपीएल 2023 में तिलक वर्मा ने 11 मैचों में 343 रन ठोके थे, पिछले सीजन…

10 months ago

SDM ज्योति मौर्या की शादी का कार्ड हुआ वायरल, पिता ने अब तोड़ी चुप्पी

ज्योति मौर्या के पिता पारसनाथ ने कहा कि जिस शादी की बुनियाद ही झूठ पर…

10 months ago

83 के हो गये, कब रिटायर होंगे, शरद पवार को लेकर खुलकर बोले अजित, हमें आशीर्वाद दीजिए

अजित पवार ने एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार पर निशाना साधते हुए कहा आप 83 साल…

10 months ago

सावन में धतूरे का ये महाउपाय चमकाएगा किस्मत, भोलेनाथ भर देंगे झोली

धतूरा शिव जी को बेहद प्रिय है, सावन के महीने में भगवान शिव को धतूरा…

10 months ago

वेस्टइंडीज दौरे पर इन खिलाड़ियों के लिये ‘दुश्मन’ साबित होंगे रोहित शर्मा, एक भी मौका लग रहा मुश्किल

भारत तथा वेस्टइंडीज के बीच पहला टेस्ट मैच 12 जुलाई से डोमनिका में खेला जाएगा,…

10 months ago

3 राशियों पर रहेगी बजरंगबली की कृपा, जानिये 4 जुलाई का राशिफल

मेष- आज दिनभर का समय स्नेहीजनों और मित्रों के साथ आनंद-प्रमोद में बीतेगा ऐसा गणेशजी…

10 months ago