बालकनी से कूद जान देना चाहता था टीम इंडिया को विश्व चैंपियन बनाने वाला बल्लेबाज, इस वजह से जिंदा रहा

टीम इंडिया के लिये 46 वनडे और 13 टी-20 इंटरनेशनल मैच खेल चुके उथप्पा को इस साल आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स ने तीन करोड़ रुपये में खरीदा है।

New Delhi, Jun 05 : टीम इंडिया के क्रिकेटर रॉबिन उथप्पा ने हाल ही में बताया कि उन्होने अपने क्रिकेट करियर के दौरान ऐसे समय का सामना किया, जब वो अपनी जिंदगी खत्म कर लेना चाहते थे, साल 2007 में टी-20 विश्वकप जीतने के दो साल बाद ही उनके जीवन में ऐसा समय आया, जब वो डिप्रेशन का शिकार हो गये थे, हर रोज उन्हें बालकनी से कूद कर जान देने का विचार आता था, हालांकि इन सबके बीच सिर्फ क्रिकेट ने उम्मीद दिखाई और वो जिंदा रहे।

राजस्थान रॉयल्स ने खरीदा
टीम इंडिया के लिये 46 वनडे और 13 टी-20 इंटरनेशनल मैच खेल चुके उथप्पा को इस साल आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स ने तीन करोड़ रुपये में खरीदा है, आपको बता दें कि उथप्पा आईपीएल में अच्छा प्रदर्शन करने वाले बल्लेबाजों में गिने जाते हैं, हालांकि इस साल कोरोना की वजह से आईपीएल को टाल दिया गया है।

2 साल डिप्रेशन का शिकार
उथप्पा ने रॉयल राजस्थान फाउंडेशन के लाइव सत्र माइंड, बॉडी एंड सोल में कहा कि मुझे याद है कि साल 2009 से 2011 के बीच ये लगातार हो रहा था, मुझे रोज इसका सामना करना पड़ता था, मैं उस समय क्रिकेट के बारे में सोच ही नहीं पा रहा था, मैं सोचता था कि इस दिन कैसे रहूंगा, अगला दिन कैसा होगा, मेरे जीवन में क्या हो रहा है, और मैं किस दिशा में आगे बढ रहा हूं, क्रिकेट ने मुझे इन बातों से निकलने में मदद की, मैच से इतर दिनों या ऑफ सीजन में बड़ी परेशानी होती थी।

हर रोज आत्महत्या के विचार
रॉबिन ने कहा कि मैं उन दिनों इधर-उधर बैठकर यही सोचता रहता था कि मैं दौड़कर जाऊं और बालकनी से कूद जाऊं, लेकिन किसी चीज ने मुझे रोके रखा, उथप्पा ने कहा कि उस दिनों उन्होने डायरी लिखना शुरु किया, मैं एक इंसान के तौर पर खुद को समझने की कोशिश करने लगा, इसके बाद मुझे इससे बाहर आने में मदद मिली, ताकि अपने जीवन में बदलाव ला सकूं। इसके बाद वो दौर था जब ऑस्ट्रेलिया में भारत ए की कप्तानी के बावजूद वो टीम इंडिया में नहीं चुने गये, उन्होने कहा कि पता नहीं क्यों, मैं कितनी भी मेहनत कर रहा था, लेकिन रन नहीं बन रहे थे, मैं ये मानने को तैयार नहीं था कि मेरे साथ कोई समस्या है, हम कई बार स्वीकार नहीं करना चाहते, कि कोई मानसिक परेशानी है।

नकारात्मक चीजों से मिला सकारात्मक अनुभव
इसके बाद साल 2014-15 में रणजी सीजन में उथप्पा ने सबसे ज्यादा रन बनाये, उन्होने अभी क्रिकेट से रिटायरमेंट की घोषणा नहीं की है, लेकिन उनका कहना है कि अपने जीवन के बुरे दौर का जिस तरह से उन्होने सामना किया, इसके लिये उन्हें कोई खेद नहीं है, मुझे अपने नकारात्मक अनुभवों का कोई मलाल नहीं है, क्योंकि इससे मुझे सकारात्मक महसूस होने में मदद मिली।

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