ग्‍लोबल कोविड एपिसेंटर बनने की ओर भारत, सरकार की तैयारियां नाकाफी, Experts ने बताया ‘कहां हुई चूक’

अब तक दूर से तमाशा देख रहा भारत अब खुद गंभीर रूप से कोरोना की जद में हैं । आगे पढि़ए और जानिए कैसे हम ग्लोबल कोविड एपिसेंटर बनने की राह पर हैं ।

New Delhi, Jun 16: जनवरी महीने से भारत कोरोना वायरस के नए घातक रूप की खबरें देख रहा है, सरकारें तैयारियों में जुटी हैं । 25 मार्च से पूर्ण लॉकडउान लगाया गया, 40 दिन बाद से ढील देनी शुरू की गई । लेकिन इन सबके बीच कोरोना की स्थिति संभली नहीं है । कोरोना का ग्राफ धीरे – धीरे बढ़ता ही चला गया । हालात ये हैं कि अब भारत पीक का इंतजार कर रहा है । लाखों मरीजों के संक्रमित होने के बाद जानकारों का मानना है कि हम जल्‍द कोरोना के ग्‍लोबल एपिसेंटर होंगे । जिसकी वजह भी बेहद स्‍पष्‍ट है । सरकारों से एक बहुत बड़ी चूक लगातार हो रही है ।

वायरस का प्रकोप
इंडिया टुडे टीवी को दिए एक इंटरव्‍यू में हार्वर्ड ग्लोबल हेल्थ इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर डॉ आशीष के. झा ने संभावना जताई है कि भारत जल्दी ही Covid-19 का एपिसेंटर होगा । उन्‍होने कहा कि ये वक्त वायरस के पीछे हाथ धोकर पड़ने यानि आक्रामकता दिखाने का है । आपको बता दें डॉक्‍टर झा ने पिछले महीने के आखिर में ही कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ वीडियो लाइव के दौरान बातचीत की थी और हाई रिस्‍क जोन में आक्रामक रूप से टेस्टिंग रणनीति अपनाने पर जोर दिया था ।

सरकार से हो रही है चूक
डॉक्‍टर आशीष झा का स्‍पष्‍ट रूप से कहना है कि भारत में कम टेस्टिंग आने वाले दिनों में घातक रूप ले सकती है । उनके मुताबिक भारत में हर दिन 30 से 50 हजार केस हर दिन बढ़ रहे हो सकते हैं, लेकिन अभी उनका छोटा हिस्सा ही पकड़ में आ रहा है । सिर्फ 10 से 12 हजार लोग ही सामने आ रहे हैं । ऐसे में हालात और बुरे और घातक हो सकते हैं । उन्‍होने चिंता जताई कि – भारत ग्लोबल हॉटस्पॉट बनने की ओर तेजी से अग्रसर है । हम अभी भी इस महामारी की शुरुआत में हैं लेकिन हालात हमारे सामने हैं । अभी वैक्सीन आने में कई, कई महीने हैं । एक साल लग सकता है । हमारे सामने सवाल यह है कि वायरस के फैलाव को धीमा करने के लिए भारत की रणनीति क्या है?

‘लोगों को नियम मानने ही होंगे’  
डॉक्‍टर झा ने साफ तौर पर कहा कि कोरोना वायरस से बचाव में सिर्फ तीन चीजें हैं जो कोई फर्क डाल सकती हैं । पहला सोशल डिस्टेंसिंग है,  जिसका चरम स्वरूप लॉकडाउन है । दूसरा स्टिंग, ट्रेसिंग और आइसोलेशन है और तीसरा है मास्क पहनना । लोगों को यह मानना ही नहीं होगा बल्कि आक्रामक तरीके से इस पर अमल शुरू करना होगा । भारत अभी टेस्टिंग के सही आंकड़ों से कोसों दूर है । डॉक्‍टर झा ने कहा कि – लॉकडाउन कर सरकार ने समय लिया, तैयारियों के लिए, जिसका हम सभी ने समर्थन किया । लेकिन भारत ने टेस्टिंग के लिए इस समय का उपयोग नहीं किया । उन्‍होने कहा कि – “मुझे फिक्र है कि ऐसे टस्पॉट्स हैं, जिन्हें हम मिस कर रहे हैं, क्योंकि वहां हम टेस्टिंग तक नहीं कर रहे हैं. इसलिए हम बड़ी संख्या में केसों तक नहीं पहुंच रहे हैं।”

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