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तेजस्वी ने तेज प्रताप को ‘सलटा’ दिया, जानिये एकाधिकार की इनसाइड स्टोरी

सियासी गलियारों में तो यही कहा जा रहा है कि राजद ने जातिगत समीकरण के लिहाज से अपने उम्मीदवार तय किये हैं।

New Delhi, Jun 24 : लालू यादव की पार्टी राजद में लगातार विधान परिषद चुनाव के लिये कुछ नामों की चर्चा हो रही है, जिसमें एक नाम पूर्व सीएम के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव का भी है, लेकिन पार्टी ने फिलहाल तेज प्रताप को एमएलसी उम्मीदवार बनाने का फैसला नहीं लिया है, राजद ने आखिरकार तीन नामों की घोषणा कर दी है, जिसमें बिस्कोमान के अध्यक्ष सुनील सिंह, फारुख शेख और रामबली चंद्रवंशी के नाम पर मुहर लगी है।

सामाजिक समीकर बनाने की कोशिश
सियासी गलियारों में तो यही कहा जा रहा है कि राजद ने जातिगत समीकरण के लिहाज से अपने उम्मीदवार तय किये हैं, इसी के तहत राजपूत समाज से उम्मीदवार घोषित किये जाने की मांग हो रही थी, माना जा रहा है कि राजद ने भूमिहार जाति से एडी सिंह को राज्यसभा भेजा था, जिससे राजपूत समाज भी लगातार दवाब बना रहा था, बिस्कोमान अध्यक्ष सुनील सिंह का नाम इसी रणनीति के तहत सामने आया है।

जातिवादी छवि बदलने की कोशिश
आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए मुस्लिम समाज का एक नाम जरुरी माना जा रहा था, जिसके तहत ही फारुख शेख के नाम पर सहमति बनी, रामबली सिंह चंद्रवंशी पिछड़े समाज का प्रतिनिधित्व करेंगे, इसलिये उन्हें उम्मीदवार बनाया गया है, हालांकि तेज प्रताप यादव को विधान परिषद नहीं भेजे जाने को लेकर पार्टी के फैसले से सबको हैरानी हुई है।

तेज प्रताप हो गये किनारे
बिहार की राजनीति को समझने वाले लोगों का कहना है कि तेज प्रताप को सलटाने का ये गेम प्लान का हिस्सा भी हो सकता है, हाल ही में तेजू खुद को विधान परिषद भेजे जाने के लिये दवाब बना रहे थे, उनके समर्थकों ने खुलकर हो-हल्ला किया था, लेकिन तेजस्वी और जगदानंद सिंह की जोड़ी ने विधानसभा चुनाव को देखते हुए खास रणनीति तैयार की है, जिसमें तेज प्रताप फिट नहीं बैठ रहे थे। इसलिये उन्हें किनारे कर दिया गया।

तेजस्वी का एकाधिकार
अगर तेज प्रताप एमएलसी उम्मीदवार बन जाते, तो राजद पर परिवारवाद का आरोप लगता, दूसरा सवर्ण समुदाय नाराजगी दिखाता, इसी के तहत पहले ब्राह्मण समाज से मनोज झा, फिर भूमिहार जाति के एडी सिंह को राज्यसभा भेजा गया, अब राजपूत समाज से सुनील सिंह को एमएलसी बनाने की तैयारी है। हालांकि राजनीतिक विश्लेषक इसे राजद में तेजस्वी के एकाधिकार से भी जोड़ते हैं, यही वजह है कि हाल के दिनों में तेजू को उनके कुनबे में बहुत ज्यादा भाव नहीं मिल रहा है, वो धीरे-धूरे राजद के राजनीतिक सीन से गायब होते रहे हैं, इससे पहले तेजू ने ऐलान किया था, कि तेजस्वी मुख्यमंत्री बनेंगे और पार्टी वो संभालेंगे, लेकिन तेजस्वी हर जगह हावी दिख रहे हैं और वो हाशिये पर जा रहे हैं। अब देखना है कि तेज प्रताप अगला कदम क्या उठाते हैं।

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