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Opinion: चीन के मोबाइल एप्स पर भारत की पाबंदी तो सिर्फ झांकी है

सिर्फ टिकटाक पर ही भारतीय ,यूजर्स की संख्या 61 करोड पहुंच चुकी थी। यही हाल यूसी ब्राउजर का भी था।

New Delhi, Jul 03: चीनी कोरोना वायरस के फैलाव के चलते सारी दुनिया पहले ही त्रस्त थी, पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी मे 15 जून को हुई झड़प, जिसमे चीन की धोखेबाजी से 20 भारतीय सैनिकों कै शहीद होने के बाद अमेरिका, ब्रिटेन सहित तमाम पश्चिमी देशों ने न सिर्फ चीन की इस नापाक हरकत की निन्दा की बल्कि उसकी मंशा ताड कर उसकी ऐसी घेरे बंदी भी शुरू कर दी है कि दुनिया पर राज करने का सपना पाले हुआ देश तिलमिला कर रह गया है।

भारत मे उसके खिलाफ आक्रोश का ऐसा तूफान उठ खडा हो चुका है कि सर्वत्र उसके सामानों की होली जलायी जा रही है। चीनी सामानों के बहिष्कार के बीच भारत ने पिछले मंगलवार को टिकटाक और यूसी ब्राउजर सहित उसके 59 मोबाइल एप्स पर पाबंदी लगा कर दिखा दिया कि यह घुटने टेकने वाला भारत नहीं मोदी का वह भारत है जो आख तरेरने वाले से उसी भाषा मे जवाब देता है। बताइए कि इस तरह चीन पर सीधा प्रहार आज तक किसी ने भी पहले किया था क्या ?

भारत ने इस कदम से चीन को न सिर्फ करारी आर्थिक चोट पहुंचायी है बल्कि देश और देशवासियों की सुरक्षा को भी कवच प्रदान किया है। चीनी एप्स से निजता और देश की सुरक्षा पर खतरा आसन्न हो गया था। एप डाउनलोड करने वाले का सारा डाटा चीन के पास चला जाता था। बताया जाता है कि सिर्फ टिकटाक पर ही भारतीय ,यूजर्स की संख्या 61 करोड पहुंच चुकी थी। यही हाल यूसी ब्राउजर का भी था। उसके भी भारतीय यूजर करोडों की संख्या में थे। स्वयं यह नाचीज भी यूसी ब्राउजर के जाल मे फंस चुका है । इस एप का सर्वर चीन मे बताया जाता है। बताने की जरूरत नहीं कि चीन की दिग्गज कंपनियों अलीबाबा, टेन्सेन्ट, वायडू और बाइटडांस ( टिकटाक ) को इस प्रतिबंध से अरबों डालर की चपत लगी है।

यह तो एक झांकी भर है। चीन पर से भरोसा उठ चुका है। भारत ने इस पडोसी के साथ संबंध सुधारने की अनथक चेष्टा की। मगर ढाक के वही तीन पात। चीन जो 1962 u बदल चुका है। उसने एक ओर जहां चीन से व्यापार की दृष्टि से यथाशीघ्र पिंड छुडा कर आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढा दिए हैं तो दूसरी ओर वह अमेरिका, रूस , फ्रांस और इजरायल के साथ त्वरित रक्षा सौदे कर अपनी सामरिक क्षमता को भी तेजी से बढाने मे लगा चुका है। शुक्रवार की सुबह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का अचानक लेह पहुंच कर अपने जवानों को संबोधित करना और जब तक मीडिया जान पाए तब तक उनकी दिल्ली वापसी से चीन सहित विश्व को एक संदेश गया है कि भारत चुप नहीं है। हालांकि फिलहाल अभी युद्ध भले ही न हो मगर चीन के साथ हर मोर्चे पर आरपार का संघर्ष लगभग तय है।
(वरिष्ठ पत्रकार पद्मपति शर्मा के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)

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