जन्मदिन स्पेशल- सौरव गांगुली ने जो काम पहले मैच में किया, वो सचिन पूरे करियर में नहीं कर पाये

वैसे को बंगाली में दादा का मतलब बड़ा भाई होता है, लेकिन सौरव गांगुली दबंग किस्म के दादा थे, जो टीम इंडिया 90 के दशक में बेहद शांत क्रिकेट खेलती थी, गांगुली के कप्तान बनने के बाद टीम की सोच बदल गई।

New Delhi, Jul 08 : धोनी ने भले आईसीसी टी-20 विश्वकप, आईसीसी वनडे विश्वकप और चैपियंस ट्रॉफी जीती हो, लेकिन इसके बावजूद माही को एक ऐसे भारतीय कप्तान से टक्कर मिलती है, जो ये सब ट्रॉफियां ना जीतने के बावजूद फैंस के दिलों में एक खास जगह रखता है, जी हां, हम बात कर रहे हैं टीम इंडिया के पूर्व कप्तान और मौजूदा बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली की, जो आज अपना 48वां जन्मदिन मना रहे हैं, गांगुली ने भारतीय टीम को विदेशी जमीन पर लड़ना सिखाया, टीम को ऐसी राह दिखाई, जिससे दशा, दिशा और पूरी सोच ही बदल गई, आइये आपको बताते हैं कि गांगुली ने टीम इंडिया को क्या-क्या दिया।

गांगुली कैसे बनें दादा
वैसे को बंगाली में दादा का मतलब बड़ा भाई होता है, लेकिन सौरव गांगुली दबंग किस्म के दादा थे, जो टीम इंडिया 90 के दशक में बेहद शांत क्रिकेट खेलती थी, गांगुली के कप्तान बनने के बाद टीम की सोच बदल गई, वो गांगुली ही थे, जिन्होने टीम को आक्रामक बनाया, यही वजह रही कि घर के शेर कही जाने वाली टीम इंडिया ने विदेशी जमीन पर भी विरोधियों को टक्कर देना शुरु किया।

टीम की सोच बदल दी
सौरव गांगुली की कप्तानी में टीम इंडिया ने 20 से ज्यादा टेस्ट मैच जीते, वो इस आंकड़े तक पहुंचने वाले पहले भारतीय कप्तान थे, हालांकि बाद में उनके इस आंकड़े को धोनी फिर विराट कोहली ने पछाड़ दिया, लेकिन यकीन मानिये उन्होने टीम की सोच बदल दी थी, टीम इंडिया उस दौर में टेस्ट ड्रा करने या बचाने के लिये नहीं बल्कि जीतने के लिये मैदान पर उतरती थी।

गांगुली से जुड़ी दिलचस्प बातें
सौरव गांगुली को बायें हाथ के बल्लेबाजों से बेहद प्यार है, कहा जाता है कि उन्हें दुनिया के हर बायें हाथ के बल्लेबाज के आंकड़े रटे हुए हैं, सौरव खुद भारत के महानतम बायें हाथ के बल्लेबाज माने जाते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि सौरव गांगुली पहले दायें हाथ से खेलते थे, लेकिन भाई स्नेहाशीष को देखकर उन्होने बायें हाथ से खेलना शुरु किया था। सौरव का पहला प्यार फुटबॉल था, लेकिन बड़े भाई स्नेहाशीष ने उन्हें क्रिकेट के लिये प्रेरित किया, संयोग से सौरव ने अपने बड़े भाई स्नेहाशीष की जगह बंगाल रणजी टीम में लिया।

गजब का टेस्ट डेब्यू
गांगुली ने अपने टेस्ट करियर का आगाज साल 1996 में लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर किया, उन्होने पहले ही मुकाबले में 131 रनों की शानदार पारी खेली, वो पहले टेस्ट में ही शतक जड़ने वाले दुनिया के तीसरे बल्लेबाज बन गये थे, महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर अपने पूरे टेस्ट करियर में लॉर्ड्स पर एक भी शतक नहीं लगा सके, लेकिन दादा ने इसे डेब्यू मैच में ही कर दिखाया। हालांकि सचिन-सौरव के नाम एक बेहद खास रिकॉर्ड है, जिसे आजतक कोई नहीं तोड़ सका है, दोनों ने एकदिवसीय क्रिकेट में सबसे ज्यादा रनों की साझेदारी की विश्व रिकॉर्ड बना रखा है, इन दोनों ने 176 वनडे मैचों में 8277 रन की साझेदारी की है।

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