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Opinion: क्या किसी नेता में इतना दम है ?

कांग्रेसी नेता भाजपा सरकार पर आरोप लगा रहे हैं कि वह चीन से तो पिट ली है लेकिन कांग्रेस पर फिजूल गुर्रा रही है। उन्होंने यह भी कहा है कि…

New Delhi, Jul 10: गलवान घाटी में भारत की मुठभेड़ चीन से हुई लेकिन देखिए कि आजकल दंगल किनके बीच हो रहा है। यह दंगल हो रहा है– भाजपा और कांग्रेस के बीच। दोनों पार्टियों ने एक-दूसरे पर इतने जमकर हमले किए कि जितने भारतीय और चीनी नेताओं ने एक-दूसरे पर नहीं किए। कांग्रेसी नेताओं ने प्रधानमंत्री का नया नामकरण कर दिया और चीन के आगे घुटने टेकने का आरोप यह कहकर भी जड़ दिया कि ‘पीएम केयर्स फंड’ में भाजपा ने चीनी कंपनी हुवेई से 7 करोड़ रु. का दान ले लिया है।

इस पर भाजपा और सरकार का भड़कना स्वाभाविक था। उसने अब सोनिया-परिवार के तीन ट्रस्टों पर जांच बिठा दी है और उन पर यह आरोप भी लगाया है कि उन्होंने चीनी सरकार और चीनी दूतावास से करोड़ों रु. स्वीकार किए हैं। कांग्रेसी नेता भाजपा सरकार पर आरोप लगा रहे हैं कि वह चीन से तो पिट ली है लेकिन कांग्रेस पर फिजूल गुर्रा रही है। उन्होंने यह भी कहा है कि पीएम केयर्स फंड में कितना रुपया कहां से आया है, क्यों आया है और उसका क्या इस्तेमाल हुआ है, यह सबको बताया जाए। इसके अलावा उन्होंने यह मांग भी की है कि भाजपा से जुड़े कई ट्रस्टों और संगठनों की जांच करने से मोदी सरकार क्यों बिदक रही है ?

सवाल सिर्फ इतना ही नहीं है कि इन राजनीतिक संगठनों में पैसा कहां-कहां से आया है बल्कि यह भी है कि उस पैसे को क्या विदेशी बैंकों में भी छिपाया गया है और क्या पारमार्थिक दान का दुरुपयोग भी किया गया है ? वास्तव में राजनीतिक पार्टियों और नेताओं से जुड़े इन सभी ट्रस्टों पर कड़ी निगरानी हर सरकार को रखनी चाहिए लेकिन असली समस्या यह है कि बिना भ्रष्टाचार किए राजनीति चल ही नहीं सकती। राजनीति के हम्माम में सब नंगे हैं। इन ट्रस्टों का काम निरंकुश चलता रहे, इसीलिए इनमें अपने पारिवारिक सदस्यों और जी-हुजूरियों को भर लिया जाता है। यह कानूनन अनिवार्य किया जाना चाहिए कि इन ट्रस्टों की आमदनी और खर्च का संपूर्ण विवरण हर साल सार्वजनिक किया जाए और किसी भी ट्रस्ट में एक परिवार का एक ही आदमी रखा जाए।

यह भी विचारणीय विषय है कि दान देनेवाले की पात्रता देखी जाए या नहीं ? कोई अपराधी, कोई मतलबी, कोई विरोधी या कोई अनैतिक व्यक्ति आपके ट्रस्ट में दान दे रहा हो तो उससे लेना कि नहीं लेना, यह भी बड़ी समस्या है। ऐसे व्यक्तियों से दान स्वीकार करने की पात्रता उसी में हो सकती है, जिसके सीने में महर्षि दयानंद सरस्वती का दिल धड़कता हो, जिन्होंने अपने आश्रयदाता जोधपुर नरेश को डांट लगाते हुए कहा था ”तुम अपने आपको सिंह कहते हो और वेश्या….. की पालकी में कंधा लगाते हो?” उसी वेश्या नन्हींजान ने उनके रसोइए जगन्नाथ को पटाकर उससे दयानंदजी के खाने में जहर मिलवा दिया था। क्या किसी नेता में इतना दम है ?
(वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार डॉ. वेद प्रताप वैदिक के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)

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