Categories: सियासत

Opinion- राम पर मोदी का अद्भुत भाषण लेकिन…

सबसे ध्यान देने लायक तो यह बात रही कि उन्होंने एक शब्द भी ऐसा नहीं बोला, जिससे सांप्रदायिक सदभाव को ठेस लगे। यह खूबी सरसंघचालक मोहन भागवत के भाषण में काफी अच्छे ढंग से उभरकर सामने आई।

New Delhi, Aug 06: अयोध्या में राम मंदिर के भव्य भूमि-पूजन का कार्यक्रम अद्भुत रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण में जैसा पांडित्य प्रकट हुआ है, वह विलक्षण ही है। किसी नेता के मुंह से पिछले 60-70 साल में मैंने राम और रामायण पर इतना सारगर्भित भाषण नहीं सुना। मोदी ने भारतीय भाषाओं में राम के बारे में लिखे गए कई ग्रंथों के नाम गिनाए। इंडोनेशिया, कम्बोडिया, थाईलैंड, मलेशिया आदि कई देशों में प्रचलित रामकथाओं का जिक्र किया।

राम के विश्व-व्यापी रुप का इतना सुंदर चरित्र-चित्रण तो कोई प्रतिभाशाली विद्वान और प्रखर वक्ता ही कर सकता है। मोदी ने अपने भाषण में राम-चरित्र का वर्णन कितनी भाषाओं— देसी और विदेशी— के उद्धरण देकर किया है। सबसे ध्यान देने लायक तो यह बात रही कि उन्होंने एक शब्द भी ऐसा नहीं बोला, जिससे सांप्रदायिक सदभाव को ठेस लगे। यह खूबी सरसंघचालक मोहन भागवत के भाषण में काफी अच्छे ढंग से उभरकर सामने आई। उन्होंने राम को भारत का ही नहीं, सारे विश्व का आदर्श कहकर वर्णित किया। उन्होंने राम मंदिर आंदोलन के नेताओं श्री अशोक सिंहल, लालकृष्ण आडवाणी और संत रामचंद्रदास का स्मरण भी किया।

यदि स्वयं मोदी लालकृष्ण आडवाणी, डाॅ. मुरलीमनोहर जोशी और अशोक सिंहल जैसे नेताओं का भी नाम लेते और उनका उपकर मानते तो उनका अपना कद काफी ऊंचा हो जाता। यह तो ‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट’ की गंभीर भूल मानी जाएगी कि उन्होंने आडवाणीजी से यह भूमि-पूजन नहीं करवाया और उन्हें और जोशीजी को अयोध्या आने के लिए विवश नहीं किया। मैं तो यह मानता हूं कि इस राम मंदिर परिसर में कहीं अशोक सिंहलजी और लालकृष्ण आडवाणीजी की भी भव्य प्रतिमाएं सुशोभित होनी चाहिए। अशोकजी असाधारण व्यक्तित्व के धनी थे। एश्वर्यशाली परिवार में पैदा होने पर भी उन्होंने एक अनासक्त साधु का जीवन जिया और लालजी ने यदि भारत-यात्रा का अत्यंत लोकप्रिय आंदोलन नहीं चलाया होता तो भाजपा क्या कभी सत्तारुढ़ हो सकती थी ?

अपने बड़ों का सम्मान करना रामभक्ति का, राम-मर्यादा का ही पालन करना है। यह खुशी की बात है कि कांग्रेस के नेताओं ने इस मौके पर उच्चकोटि की मर्यादा का पालन किया। उन्होंने राम मंदिर कार्यक्रम का स्वागत किया। यदि इस कार्यक्रम में 36 संप्रदायों के 140 संतों को बुलाया गया था तो देश के 30-35 प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं को क्यों नहीं बुलाया गया ? राम मंदिर का ताला खुलवानेवाले राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी मंच पर होतीं तो इस कार्यक्रम में चार चांद लग जाते। दुनिया को पता चलता कि राम सिर्फ भाजपा, सिर्फ हिंदुओं और सिर्फ भारतीयों के ही नहीं हैं बल्कि सबके हैं।
(वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार डॉ. वेद प्रताप वैदिक के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)

Leave a Comment
Share
Published by
ISN-1

Recent Posts

इलेक्ट्रिशियन के बेटे को टीम इंडिया से बुलावा, प्रेरणादायक है इस युवा की कहानी

आईपीएल 2023 में तिलक वर्मा ने 11 मैचों में 343 रन ठोके थे, पिछले सीजन…

10 months ago

SDM ज्योति मौर्या की शादी का कार्ड हुआ वायरल, पिता ने अब तोड़ी चुप्पी

ज्योति मौर्या के पिता पारसनाथ ने कहा कि जिस शादी की बुनियाद ही झूठ पर…

10 months ago

83 के हो गये, कब रिटायर होंगे, शरद पवार को लेकर खुलकर बोले अजित, हमें आशीर्वाद दीजिए

अजित पवार ने एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार पर निशाना साधते हुए कहा आप 83 साल…

10 months ago

सावन में धतूरे का ये महाउपाय चमकाएगा किस्मत, भोलेनाथ भर देंगे झोली

धतूरा शिव जी को बेहद प्रिय है, सावन के महीने में भगवान शिव को धतूरा…

10 months ago

वेस्टइंडीज दौरे पर इन खिलाड़ियों के लिये ‘दुश्मन’ साबित होंगे रोहित शर्मा, एक भी मौका लग रहा मुश्किल

भारत तथा वेस्टइंडीज के बीच पहला टेस्ट मैच 12 जुलाई से डोमनिका में खेला जाएगा,…

11 months ago

3 राशियों पर रहेगी बजरंगबली की कृपा, जानिये 4 जुलाई का राशिफल

मेष- आज दिनभर का समय स्नेहीजनों और मित्रों के साथ आनंद-प्रमोद में बीतेगा ऐसा गणेशजी…

11 months ago