New Delhi, Sep 14 : पूर्व केन्द्रीय मंत्री तथा बिहार की राजनीति के कद्दावर राजनेता रहे डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह का रविवार को दिल्ली स्थित एम्स अस्पताल में निधन हो गया, राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के करीबी नेताओं में से एक रघुवंश बाबू ने तीन दिन पहले ही पार्टी से इस्तीफा देकर प्रदेश की राजनीति में हड़कंप मचा दिया था, उनके जाने के बाद एक किस्सा हमेशा सुर्खियों में रहेगा, वो है रघुवंश बाबू और राम किशोर सिंह उर्फ रामा सिंह के बीच की तल्खियां, माना जा रहा है कि दोनं के बीच की तल्खियां ही उनके इस्तीफे की एक अहम वजह रही, 90 के दशक में शुरु हुई इस वर्चस्व की लड़ाई में आखिरी कील 2014 लोकसभा चुनाव में पड़ी, तब रामा सिंह ने लोजपा के टिकट पर वैशाली से रघुवंश बाबू को हरा दिया था।
रघुवंश बाबू और रामा सिंह के बीच की दूरियां
दरअसल रघुवंश बाबू राजनीति में बाहुबलियों के प्रवेश से कभी खुश नहीं थे, 90 के दशक में रामा सिंह ने मालदा से लेकर गोरखपुर तक रेलवे के टेंडर में अपना हाथ डाला था,
2019 के बाद ही इस्तीफे की लिखी गई थी पटकथा
रघुवंश बाबू के इस्तीफे की वैसे तो कई और वजहें भी है, लेकिन जानकारों की मानें, तो उन्होने 2019 लोकसभा चुनाव में मिली करारी शिकस्त और तेजस्वी के कमान संभालते ही इसकी पटकथा लिखी जा चुकी थी, बिहार में पिछले कुछ महीनों से ये चर्चा जोरों पर थी,
राजनीतिक समझ का लाभ नहीं उठा सका नया राजद
लोकसभा चुनाव 2019 से पहले ही रघुवंश प्रसाद सिंह अक्सर नीतीश कुमार को महागठबंधन का चेहरा बनाये रखे जाने की तरफदारी करते थे,
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