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दुनिया का ऐसा गांव, जहां रहती है सिर्फ महिलाएं, कदम भी नहीं रख सकते पुरुष

बड़ा सवाल ये है कि इनका खर्च कैसे चलता है, तो बता दें कि महिलाएं और बच्चे अपनी मेहनत से ज्वेलरी (नेकलेस, चूड़ी, पाजेब, इत्यादी) बनाते हैं, और उन्हें पास के बाजार में बेचते हैं।

New Delhi, Oct 01 : दुनियाभर में भले महिलाओं को पुरुषों के बराबर अधिकार दिये जाने की बात कही जाती हो, लेकिन महिलाएं अब भी कहीं ना कहीं बराबरी के लिये संघर्ष ही कर रही है, महिलाएं खुद को पुरुष प्रधान समाज से आजाद कराने के लिये हरसंभव कोशिश करती है, ताकि खुली हवा में सांस ले सकें, इसका एक जीवंत उदारण अफ्रीकी देश केन्या में स्थित एक गांव में देखने को मिलता है, उत्तरी केन्या के समबुरु में स्थित इस गांव का नाम उमोजा है, जो दुनिया के बाकी गांवों से बेहद अलग है।

पुरुषों पर लगा है प्रतिबंध
स्वाहिली में उमोजा का मतलब होता है एकता, महिलाओं ने कांटेदार बाड़ से गांव को चारों ओर से घेर रखा है, ताकि सुरक्षित महसूस कर सके, इस गांव की दुनियाभर में इसलिये भी चर्चा होती है, क्योंकि यहां सिर्फ महिलाएं रहती है, इस गांव में पुरुषों का आना प्रतिबंधित है, गांव एक अभ्यारण्य के रुप में 1990 से 15 महिलाओं द्वारा शुरु किया गया था, ये वो महिलाएं थी, जिनका ब्रिटिश सैनिकों ने बलात्कार और यौन शोषण किया था, लेकिन आज गांव अन्य महिलाओं को ना सिर्फ छत उपलब्ध कराता है, बल्कि उन्हें आजीविका भी प्रदान कराता है।

किन महिलाओं को मिलती है शरण
इस गांव में महिलाएं शरण लेने आती है, जो खतना, दुष्कर्म, घरेलू हिंसा या बाल विवाह से पीड़ित होती है, मालूम हो कि समबुरु में रहने वाले लोग गहराई तक पितृसत्ता से जकड़े हुए हैं, ये लोग अर्द्ध खानाबदोश होते हैं, जो बहुविवाह में यकीन करते हैं, इनके अलावा ये मासई जनजाति से संबंध रखते हैं, आज के समय में करीब 50 महिलाएं उमोजा गांव में रहती हैं, इन महिलाओं के साथ इनके 200 बच्चे भी यहां रहते है, ये लोग खुद ही अपनी आजीविका चलाते हैं, गांव में बच्चों की पढाई पर भी ध्यान दिया जाता है, ताकि वह समाज के बीच खुद को ढाल सकें, उमोजा के स्कूल में पास के गांवों के बच्चे भी पढने आ सकते हैं।

कैसे चलता है खर्च
बड़ा सवाल ये है कि इनका खर्च कैसे चलता है, तो बता दें कि महिलाएं और बच्चे अपनी मेहनत से ज्वेलरी (नेकलेस, चूड़ी, पाजेब, इत्यादी) बनाते हैं, और उन्हें पास के बाजार में बेचते हैं, इस कमाई का एक मात्र उद्देश्य आधारभूत जरुरतों को पूरा करना होता है, बच्चों में वो लड़के जो 18 साल के हो जाते हैं, उन्हें गांव छोड़ना पड़ता है, महिलाओं की कमाई का एक अन्य जरिया पर्यटन भी है, गांव में प्रवेश करने वाले लोगों से प्रवेश शुल्क लिया जाता है। जो महिलाएं बुजुर्ग हो जाती है, वो कम उम्र की महिलाओं को खतना तथा जबरन गर्भपात जैसे सामाजिक मुद्दों के बारे में बताती है, ऐसा नहीं है कि महिलाएं इस गांव से बाहर नहीं निकलती, वो आस-पास के गांवों, बाजारों और स्कूलों में भी जाती है, यहां रहने वाली महिलाओं को एक ही उद्देश्य होता है, इज्जत और आत्मसम्मान के साथ जिंदगी जीना।

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