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अमित शाह ने निभाया वादा, 10 साल में विधायक के केन्द्रीय गृहमंत्री के डेप्युटी बन गये नित्यानंद राय!

नित्यानंद राय ने हाजीपुर में कांग्रेस का प्रभाव खत्म किया, 2000 से लेकर 2010 तक लगातार हाजीपुर विधानसभा सीट से चुनाव जीते।

New Delhi, Oct 13 : 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान बिहार के उजियारपुर सीट पर प्रचार करते हुए तत्कालीन बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने एक वादा किया था, उन्होने कहा था कि यदि इस सीट से बीजेपी उम्मीदवार नित्यानंद राय जीत जाते हैं, और एनडीए की सरकार सत्ता में फिर से वापसी करती है, तो वो नित्यानंद राय को कुछ महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देंगे, चुनाव बाद एनडीए की वापसी हुई, तो अमित शाह ने अपना वादा निभाया, उन्होने राय को गृह राज्यमंत्री पद से नवाजा।

2010 में मंत्री
आपको बता दें कि 2010 में नित्यानंद राय पहली बार विधायक चुने गये थे, 10 साल में ही वो विधायक से गृह राज्यमंत्री तक का सफर तय कर चुके हैं, नित्यानंद राय के इस उभार से कई लोग हैरान हैं, मालूम हो कि 54 वर्षीय नित्यानंद राय. बीजेपी में यादव चेहरे हैं, तथा पार्टी की ओर से बिहार का सीएम बनने की रेस में मुख्य उम्मीदवार हैं, दरअसल बिहार में अगड़ी जाति के मतदाता बीजेपी का वोटबैंक माने जाते हैं, वहीं यादव वोटबैंक राजद का पारंपरिक वोटबैंक माना जाता है, ऐसे में नित्यानंद राय पार्टी के लिये काफी अहम हो सकते हैं।

संघ से जुड़ाव
किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले नित्यानंद राय का आरएसएस से जुड़ाव 1981 से रहा है, वह एबीवीपी के सदस्य भी रहे है, हाजीपुर के आरएन कॉलेज से ग्रेजुएशन करते समय भी वह संघ की शाखाओं का हिस्सा रहे, बीजेपी के वरिष्ठ नेता कैलाशपति मिश्र की नजर उन पर पड़ी थी, उन्होने ही नित्यानंद राय को राजनैतिक रुप से तराशा।

बीजेपी का दबदबा बनाया
नित्यानंद राय ने हाजीपुर में कांग्रेस का प्रभाव खत्म किया, 2000 से लेकर 2010 तक लगातार हाजीपुर विधानसभा सीट से चुनाव जीते, उनके प्रभाव को ऐसे समझा जा सकता है कि हाजीपुर विधानसभा सीट राजद के दबदबे वाली राघोपुर, महुआ, सोनेपुर और परसा से घिरी है, इसके बावजूद वो लगातार चुनाव जीतते रहे, राघोपुर से राबड़ी देवी तीन बार विधायक बनी, अभी तेजस्वी इस सीट से विधायक हैं, वहीं सोनेपुर और परसा सीट से लालू खुद चुनाव जीत चुके हैं।

उजियारपुर सीट से उतारा
2014 लोकसभा चुनाव में नित्यानंद राय को बीजेपी ने उजियारपुर सीट से उतारा, फिर अमित शाह ने 2016 में उन्हें बिहार बीजेपी का अध्यक्ष बनाया, ये पहली बार था कि पार्टी ने पिछड़े वर्ग से आने वाले किसी नेता को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी थी, इससे पहले बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के पद पर अगड़ी जाति के नेताओं का कब्जा था। सुशील कुमार मोदी, प्रेम कुमार, अश्विनी चौबे, नंद किशोर यादव और गिरिराज सिंह जैसे नेताओं के बीच नित्यानंद राय ने अपनी जगह बनायी, वो पार्टी की ओर से बिहार सीएम पद की रेस में शामिल हैं, बिहार भाजपा में उनके बढते कद को इस बात से समझा जा सकता है, कि पार्टी ने बीते महीने ही उनहें 70 सदस्यों वाली चुनाव समिति का प्रमुख नियुक्त किया है।

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