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नीतीश कुमार को इतना गुस्सा क्यों आता है? फिर से सरकार बनने की राह में ये है तीन रोड़े!

शुरु में ऐसा लगा था कि एनडीए का गठबंधन पहले से ज्यादा मजबूत बनकर सामने आएगा, लेकिन बाद में चिराग ने नीतीश के खिलाफ मोर्चा खोल दिया, और गठबंधन से बाहर हो गये।

New Delhi, Oct 25 : बिहार चुनाव में अपने प्रत्याशियों को जिताने के लिये नीतीश कुमार ने पूरी ताकत झोंक रखी है, पिछले सप्ताह सारण के एक रैली में जनसभा को संबोधित करते-करते आपा खो बैठे, दरअसल सभा में कुछ लोग लालू जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे, इस पर नीतीश ने कहा वोट नहीं देना है, तो ना दे, लेकिन यहां से चलो जाओ, इसके बाद शनिवार को नीतीश एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे, कुछ लोगों के विरोधी स्वर देखकर उन्हें फिर कहना पड़ा, तुम वोट मत देना, सवाल ये है कि आखिर सुशासन बाबू को इतना गुस्सा क्यों आ रहा है, क्या बिहार में उनके सामने चुनौतियां विकट रुप ले रही है।

सीएम की राह में रोड़ा
नीतीश कुमार ने सासाराम की जनसभा के दौरान ये माना कि इस बार का चुनाव पहले से अलग है, 28 अक्टूबर को होने वाले पहले चरण के मतदान से पहले इंडियन एक्सप्रेस ने उन तीन चुनौतियों को सामने लाने की कोशिश की है, जो उन्हें फिर से सीएम बनाने की राह में रोड़ा बन सकती है।

एंटी इनकंबेंसी और थकान
दिनारा विधानसभा सीट की खैरिही गांव का एक ग्रामीण कहता है कि इन 15 सालों में नीतीश कुमार ने मूलभूत चीजें दी है, जैसे सड़क, पीने का पानी और बिजली, अब अगले कार्यकाल में वह खेतों तक पानी पहुंचाना चाहते हैं, क्या रोजगार देने में उन्हें अभी 50 साल और लगेंगे, स्पष्ट है कि नीतीश के कार्यकाल में कई सुधार हुए, लेकिन वोटर अब इससे ज्यादा की उम्मीद कर रहा है, बिहार में अब भी रोजगार, उद्योग और पलायन की समस्या है, कोरोना के बाद नीतीश के लिये ये चुनौती और बढ गई है, क्योंकि दूसरे राज्यों में रहने वाले प्रवासी मजदूर वापस आ गये हैं, उनके सामने रोजगार का बड़ा संकट खड़ा है, ऐसे में सरकार से रोजगार की उम्मीद रखते हैं और असंतुष्ट नजर आते हैं।

लोजपा फैक्टर
शुरु में ऐसा लगा था कि एनडीए का गठबंधन पहले से ज्यादा मजबूत बनकर सामने आएगा, लेकिन बाद में चिराग ने नीतीश के खिलाफ मोर्चा खोल दिया, और गठबंधन से बाहर हो गये, उन्होने कहा केन्द्र में वह गठबंधन में रहेंगे लेकिन बिहार में अकेले ही मैदान में उतरेंगे, इस मामले में बीजेपी ने चुप्पी साध रखी है, अब चिराग पासवान अलग चुनाव लड़ रहे है, उन्होने जदयू के खिलाफ ही अपने उम्मीदवार उतारे हैं, ऐसे में लोजपा जदयू उम्मीदवारों के वोट काट सकते हैं, जिसका फायदा तेजस्वी को होगा, इससे कई सीटों का समीकरण बदल सकता है।

तेजस्वी की लोकप्रियता
तेजस्वी यादव की चुनावी रैलियों में भारी भीड़ इकट्ठी हो रही है, उन्होने लोगों से 10 लाख सरकारी नौकरियों का वादा किया है, तेजस्वी भी राजद के पुराने सेक्युलरिज्म के नारे को दोहरा रहे हैं, बिहार सरकार में करीब 4.5 लाख पद खाली है, सरकार को 5.5 वैकेंसी क्रिएट करने की जरुरत है, तेजस्वी की जनसभाओं में भारी भीड़ जमा हो रही है, जिसमें युवाओं की संख्या ज्यादा है।

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