पराली से हो रहे प्रदूषण का निकला सबसे सस्‍ता और आसान समाधान, दिल्‍ली से आया ये जबरदस्‍त फॉर्मूला

दिल्‍ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हिरनकी गांव का दौरा किया, पूसा रिसर्च इंस्टीट्यूट के तैयार किये गए बॉयो डीकंपोजर घोल का यहीं पराली पर छिड़काव किया गया था ।

New Delhi, Nov 05: दिल्ली में पिछले कुछ समय से प्रदूषण ही प्रदूषण फैला हुआ है, पड़ोसी राज्‍य में पराली जलाने के मामले बढ़े हैं । ऐसे में दिल्‍ली स्थित पूसा इंस्टिट्यूट ने पराली को गलाने का एक जबरदस्‍त फॉर्मूला निकाला है । पूसा रिसर्च इंस्टीट्यूट के तैयार किये गए बॉयो डीकंपोजर घोल के छिड़काव का प्रयोग हिरनकी गांव में चल रहा था, जिसका दौरा करने केजरीवाल गांव पहुंचे । उन्‍होंने पराली पर पड़ने वाले प्रभावों का जायजा लिया, यहां 13 अक्टूबर को छिड़काव की शुरुआत की गई थी ।

पूरी तरह गल गई थी पराली
छिड़काव के 15 दिन बाद जब मीडिया की टीम भी पूसा की टीम के साथ वहां पुंहची तो 90% पराली गल चुकी थी । वहीं अब जब काफी दिन हो गए हैं तो पराली पूरी तरह से गली हुई दिखाई दी, जिससे किसान भी संतुष्‍ट नजर आए । किसान सुमित और उनके पिता के खेतों में हुए इस छिड़काव के बाद उन्‍होंने कहा कि – पराली परंपरागत तरीकों की अपेक्षा जल्दी गल गई है और मिट्टी में खाद भी बन गई है । रोटावेटर चलाने में आने वाले खर्च में प्रति एकड़ करीब 2,000 रुपए की बचत होगी । इसके अलावा यूरिया का खर्च भी बचेगा और अगले हफ्ते में खेत मे बुआई का काम शुरू हो जायेगा ।

अरविंद केजरीवाल का बयान
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में बॉयो डिकम्पोज़र तकनीक के इस्तेमाल पर कहा – “हर साल पराली के जलने की वजह से धुआं उठता है। अभी भी देखेंगे तो आसमान में धुआं है । मीडिया की रिपोर्ट और सैटेलाइट की तस्वीरों से यह लगता है कि आसपास के राज्यों में खासकर पंजाब में काफी ज़्यादा पराली जलाई जा रही है । एक तरफ किसान खुद ही दुखी है. उसको और पूरे गांव को कितना प्रदूषण बर्दाश्त करना पड़ता है । आसपास के राज्यों की सरकारों ने उनके लिए कुछ भी नहीं किया । किसान अपनी पराली जलाने के लिए मजबूर हुआ और वह पूरा धुआं उत्तर भारत में फैल जाता है ।”

ये आखिरी साल हो …
अरविंद केजरीवाल ने आगे कहा कि दिल्ली के लोगों ने पहली बार पूसा इंस्टीट्यूट के साथ मिलकर पराली का एक समाधान दिया है । मुख्यमंत्री ने कहा, “ये तकनीक पराली का इतना सस्ता और इतना अच्छा समाधान है कि पराली अब खाद में तब्दील हो रही है तो मैं उम्मीद करता हूं कि अब यह आखिरी साल होगा जो हम यह प्रदूषण बर्दाश्त कर रहे हैं । अब किसी सरकार के पास कोई बहाना नहीं है अपने किसानों को तंग करने का । किसान दुखी हो चुके हैं वह पराली नहीं जलाना चाहते । अब हमें समाधान मिल गया हम सुप्रीम कोर्ट को भी बताएंगे कि यह समाधान बहुत प्रभावकारी है । किसान भी बहुत संतुष्ट हैं । अब सरकारों की जिम्मेदारी है । कोई यह बहाना नहीं बना सकता कि हमारे पास समाधान नहीं है दिल्ली के अंदर सिर्फ 20 लाख रूपए में ही सारा छिड़काव हो गया जो कि कुछ भी नहीं है।”

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