नीतीश कुमार बहुत पहले ही छोड़ने वाले थे राजनीति, शादी के बाद एक बात से थे सालों तक परेशान

बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार ने इस बार मंच से ये ऐलान कर दिया है कि ये उनका आखिरी चुनाव हे, उन्‍हें इस बार वोट जरूर दें ।

New Delhi, Nov 07: बिहार विधानसभा चुनाव के आखिरी चरण का मतदान आज जारी है । आज बिहार के भविष्‍य का फैसला ईवीएम में बंद होने वाला है । इससे पहले मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार ने जनता के सामने इमोशनल कार्ड खेला, उन्‍होंने मंच से ऐलान किया कि ये उनका आखिरी चुनाव है । इसके बाद वो राजनीति से संन्‍यास ले लेंगे । नीतीश कुमार ने राज्‍य की जनता से अपील की है कि क्या आखिरी बार उन्हें मौका नहीं दिया जाएगा। नीतीश कुमार के बारे में आगे जानिए कुछ दिलचस्‍प बातें ।

6 बार ली है सीएम पद की शपथ
70 साल के हो चुके नीतीश कुमार बिहार राजनीति की रग- रग जानते हैं, यहीं वजह है कि वो अब तक 6 बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं। लेकिन एक बात जो उनके बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं, वो ये कि राजनीति का ये दिग्‍गज खिलाड़़ी 29 की उम्र में ही राजनीति से संन्यास लेना चाहता था ।

इंजीनियरिंग की पढ़ाई और फिर राजनीति
नीतीश कुमार ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है । पढ़ाई के बाद वह 1974 से 1977 तक चले जेपी आंदोलन से जुड़ गए। उन्होंने  26 साल की उम्र में पहली बार 1977 के विधानसभा चुनाव में राज्य की हरनौत सीट से जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा। लेकिन इस चुनाव में वो बुरी तरह हार गए । साल 1980 में फिर से कोशिश की, हरनौत से ही जनता पार्टी (सेक्युलर) के टिकट पर चुनाव लड़े। लेकिन इस बार भी जीत नहीं मिली ।

राजनीति छोड़ने का बना लिया था मन
चुनाव में लगातार दो हार के बाद नीतीश कुमार हताश हो गए । राजनीति छोड़ कर ठेकेदारी करने का मन बना लिया था । तब उनकी उम्र 30 के लगभग हो गई थी । पढ़ाई पूरी किए 7 साल हो चुके थे, मां बाप ने शादी कर जिम्‍मेदारी से भी बांध दिया था । शादी के सालों बाद भी वो कमाई ना कर पाने के कारण परेशान रहने लगे थे । इन सबसे तंग आकर नीतीश राजनीति छोड़कर एक सरकारी ठेकेदार बनना चाहते थे। वो कहते थे ‘कुछ तो करें, ऐसे जीवन कैसे चलेगा?’

1985 से बदली किस्‍मत
लेकिन नीतीश कुमार के लिए राजनीति कुछ नई जमीन सेट कर रही थी, 1985 में तीसरी बार उन्‍होंने हरनौत सीट से चुनाव लड़ा, इस बार लोकदल ने उन्हें टिकट दिया। किस्‍मत पलटी और वो 21 हजार से ज्यादा वोटों से जीत गए। 1985 की जीत के बाद नीतीश कुमार ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। इसके बाद वो वह लोकसभा तक भी पहुंचे औऱ केंद्र में मंत्री भी रहे। नीतीश कुमार ने अपनी अंतिम रैली में जनता से अपील की है कि अंत भला तो सब भला। यह उनका आखिरी चुनाव है। इसके बाद राजनीति से संन्यास ले लेंगे। जनता से एक आखिरी बार समर्थन की अपील है।

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