बदन पर नहीं थे कपड़े ना मिलता था भरपेट भोजन, लालू की आत्‍मकथा- बचपन यादकर आंखें भीग जाती हैं

बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार लालू प्रसाद यादव को सभी ने याद किया, उनसे जुड़ी कई ऐसी बातें हैं जो उनकी आत्‍मकथा में पता चलती हैं ।

New Delhi, Nov 10: बिहार विधानसभा चुनाव में मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के बीच कांटे का चल रहा है । बहुमत की ओर दिख रही एनडीए को महागठबंधन कड़ी टक्‍कर दे रहा है । कई सीटों पर वोटों का अंतर इतना कम है कि अभी रुझाान में भी उतार-चढ़ाव ही देखने को मिल रहा है । बहरहाल इस बार आरजेडी ने अपने मुखिया लजालू प्रसाद यादव के बिना ही चुनाव लड़ा है । लालू प्रसाद यादव बिहार के वो कद्दावर नेता है जिनकी चर्चा विदेशों में होती थी । बेहद ही गरीब परिवार से आने वाले लालूल प्रसाद यादव ने अपने बचपन के संघर्षों के बारे में अपनी आत्‍मकथा में बताया है ।

नहीं होता था भरपेट भोजन
लालू प्रसाद यादव ने अपनी आत्मकथा ‘गोपालगंज टू रायसीना’ में लिखा है कि उनका बचपन बेहद आर्थिक तंगी में बीता । वो लिखते हैं-  ‘बचपन में हमारे पास न तो पहनने के लिए पर्याप्त कपड़े थे और न ही चावल, दाल, रोटी और सब्जियों के रूप में पूरा भोजन होता था। उन दिनों को याद करता हूं तो आज भी मेरी आंखें भीग जाती हैं, न सिर्फ मेरे अभावों के कारण बल्कि मेरे जैसे अन्य गरीब ग्रामीणों की तकलीफों के कारण भी।’

मवेशी चराते थे लालू प्रसाद यादव
बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव खेती किया करते थे और अपने मवेशी भी चराते थे । आत्‍मकथा में उन्‍होंने बताया है कि उनके पास सिर्फ 2 बीघा जमीन और कुछ मवेशी थे। उनकी जिंदगी गाय-गोरू के बीच सिमटी हुई थी। सुबह ही वो मवेशियों को सुदूर घास के मैदान में चराने ले जाते थे। लालू प्रसाद यादव ने बचपन के बारे में और लिखा है कि उनके पास बचपन में पहनने के लिए कपड़े तक नहीं होते थे । उन्‍होंने किताब में लिखा है- जब मैं छोटा था तब मुझे हाथ से बनाई गई बनियान मिली थी। लेकिन न तो मैं रोजाना नहा पाता था और न ही कपड़े धो पाता था, क्योंकि मेरे पास बदलने के लिए कोई और बनियान नहीं थी। मेरी मिट्टी से सनी बारहमासी पोशाक में जुएं तक पड़ गई थीं।

मां धान की पुआल से बनाती थी बिस्‍तर
लालू प्रसाद यादव ने अपनी किताब में लिखा है,’ सर्दियों में माई (मां) आंगन में कंडे, गन्ने के सूखे पत्तों और फूस में आग लगाकर हम सबको एक साथ लेकर उसके चारों और बैठ जाती थी। धान के पुआल से हम सबके लिए बिस्तर बनाया जाता था। माई हमारे लिए जूट के बोरे में पुआल, पुराने कपड़े और कपास भरकर कंबल बनाती थी ताकि हमें ठंड ना लगे।’ लालू प्रसाद यादव जमीनी नेता थे, दुख-दर्द झेलकर मुश्किलों से लड़कर नेतृत्‍व करना सीखे थे । आज उनके बेटे उनकी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं ।

Leave a Comment
Share
Published by
ISN-1

Recent Posts

इलेक्ट्रिशियन के बेटे को टीम इंडिया से बुलावा, प्रेरणादायक है इस युवा की कहानी

आईपीएल 2023 में तिलक वर्मा ने 11 मैचों में 343 रन ठोके थे, पिछले सीजन…

10 months ago

SDM ज्योति मौर्या की शादी का कार्ड हुआ वायरल, पिता ने अब तोड़ी चुप्पी

ज्योति मौर्या के पिता पारसनाथ ने कहा कि जिस शादी की बुनियाद ही झूठ पर…

10 months ago

83 के हो गये, कब रिटायर होंगे, शरद पवार को लेकर खुलकर बोले अजित, हमें आशीर्वाद दीजिए

अजित पवार ने एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार पर निशाना साधते हुए कहा आप 83 साल…

10 months ago

सावन में धतूरे का ये महाउपाय चमकाएगा किस्मत, भोलेनाथ भर देंगे झोली

धतूरा शिव जी को बेहद प्रिय है, सावन के महीने में भगवान शिव को धतूरा…

10 months ago

वेस्टइंडीज दौरे पर इन खिलाड़ियों के लिये ‘दुश्मन’ साबित होंगे रोहित शर्मा, एक भी मौका लग रहा मुश्किल

भारत तथा वेस्टइंडीज के बीच पहला टेस्ट मैच 12 जुलाई से डोमनिका में खेला जाएगा,…

10 months ago

3 राशियों पर रहेगी बजरंगबली की कृपा, जानिये 4 जुलाई का राशिफल

मेष- आज दिनभर का समय स्नेहीजनों और मित्रों के साथ आनंद-प्रमोद में बीतेगा ऐसा गणेशजी…

10 months ago