New Delhi, Dec 16: 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान कई परिवार अपने बेटों से बिछड़ गए । कई की लाशें घर पहुंचीं तो कुछ की सिर्फ खबर । लांस नायक मंगल सिंह के घर भी उनके मरने की बस खबर ही पहुंची थी । लेकिन मंगल सिंह के परिवार को उम्मीद थी कि एक दिन वो जरूर लौटेंगे । उनकी 75 साल की पत्नी सत्या आज भी पति की तस्वीर हाथ में लेकर उन्हें याद किया करती हैं । उन्हें जरा भी अंदाजा नहीं था कि जिस खुशखबरी का इंतजार वो इतने बरसों से कर रही हैं, वो खुशी उन्हें मिलने वाली है ।
विदेश मंत्रालय से आई उम्मीदों वाली चिठ्ठी
जालंधर के दातार नगर की रहने वालीं 75 साल की सत्या देवी
बांगलादेशी मोर्चे पर लगी थी ड्यूटी
लांस नायक मंगल सिंह 1962 के आसपास भारतीय सेना मे भर्ती हुये थे, 1971 में उन्हें रांची से कोलकाता ट्रांसफर कर दिया गया। वहां से बांग्लादेश के
बेटों को भी पिता का इंतजार
49 साल बाद पिछले सप्ताह राष्ट्रपति और विदेश मंत्रालय कार्यालय की तरफ से खत भेजकर सत्या को उनके पति के जिंदा होने की जानकारी दी गई है ।
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