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JDU की नींव रखने वाले नेताओं को नीतीश ने लगा दिया था किनारे, RCP पर इतनी मेहरबानी क्यों?

जिसे आज जदयू के तौर पर जाना जाता है, उसका गठन 30 अक्टूबर 2003 को हुआ था, ये दल जनता पार्टी से अलग हुए दलों का एकजुट स्वरुप है।

New Delhi, Dec 28 : बिहार के सीएम नीतीश कुमार के नजदीकी भरोसेमंद आरसीपी सिंह जदयू के नये अध्यक्ष चुने दये हैं, रविवार को एक न्यूज एजेंसी से पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि नीतीश कुमार ने ही पार्टी के शीर्ष पद के लिये आरसीपी सिंह के नाम का प्रस्ताव रखा था, पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के दौरान अन्य सदस्यों ने इसका अनुमोदन किया।

आरसीपी के लिये पद त्यागा
2019 में तीन साल के लिये जदयू के फिर से राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गये सीएम नीतीश कुमार ने इस के साथ ही राज्यसभा में अपने नेता आरसीपी सिंह के लिये अपना पद त्याग दिया, नौकरशाह से राजनेता बने आरसीपी सिंह पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव थे, वो पार्टी में नीतीश के बाद नंबर दो माने जाते हैं, खास बात ये है कि जिन दिग्गज नेताओं ने पार्टी की बुनियाद रखने में बड़ी भूमिंका निभाई थी, उन्हें नीतीश ने एक-एक कर किनारे कर दिया, वहीं अब आरसीपी पर मेहरबानी दिखा रहे हैं।

2003 में गठन
जिसे आज जदयू के तौर पर जाना जाता है, उसका गठन 30 अक्टूबर 2003 को हुआ था, ये दल जनता पार्टी से अलग हुए दलों का एकजुट स्वरुप है, शरद यादव के जनता दल, लोकशक्ति पार्टी तथा समता पार्टी के मर्जर के बाद ये बना था, इस दल के कंसल्टेंट तथा संरक्षक समाजवादी नेता जॉर्ज फर्नांडीस थे। उससे पहले 19984 में जॉर्ज तथा नीतीश ने समता पार्टी बनाई थी, बिहार में बीजेपी से इसका गठबंधन हुआ, बाद में राष्ट्रीय स्तर पर भी पार्टी एनडीए में शामिल हुई, साल 2000 में नीतीश एनडीए का सूबे में चेहरा बनाये गये तथा सीएम भी बने, 2003 में समता पार्टी का शरद के जदयू में विलय हुआ।

जॉर्ज फर्नांडिस
राष्ट्रीय स्तर की सियासत में कुछ बड़ा करने वाले कर्नाटक के पहले राजनेता के तौर पर जॉर्ज की पहचान थी, ट्रेड यूनियन नेता के तौर पर उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत हुई थी, वो भले ही अब दुनिया में ना हों, लेकिन उन्हें सालों तक विद्रोही या बागी (सकारात्मक पहलू में) के तौर पर भी जाना जाएगा, कहा जाता है कि उनकी एक आवाज पर गरीब-गुरबा, मजदूर जुट जाते थे, वो अपनी साफगोई तथा खरा बोलने की आदत के लिये भी जाने जाते थे, 2007 में दोनों के रिश्ते में थोड़ी खटास आई थी, जब नीतीश ने जॉर्ज को पार्टी चीफ की कुर्सी से हटाकर शरद यादव को गद्दी पर बैठाया था, बस यही से जॉर्ज किनारे लगने शुरु हो गये, नतीजा ये रहा कि 2009 लोकसभा चुनाव में उन्हें टिकट तक नहीं मिला, तब जॉर्ज निर्दलीय लड़े और हार गये, नीतीश उन्हें देखते-देखते भूल गये, बाद में सेहत की वजह से वो सार्वजनिक जीवन से भी किनारे हो लिये।

शरद यादव
शरद यादव फिलहाल लोकतांत्रिक जनता दल के नेत. हैं, वो सात बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं, जबकि तीन बार राज्यसभा सदस्य रह चुके हैं, वो लंबे समय तक जदयू के शीर्ष पद पर रहे, हालांकि नीतीश के मतभेद के बाद उन्हें किनारे लगा दिया गया, 2018 में उन्होने लोकतांत्रिक जनता दल के नाम से नई पार्टी बनाई थी, हालांकि कुछ खास नहीं कर सके, 2019 लोकसभा चुनाव में लालू की मेहरबानी पर मधेपुरा से चुनाव लड़ा, लेकिन हार गये।

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