New Delhi, Jan 01 : बिहार में सरकार चाहे जिसकी बने या विपक्ष में चाहे जो रहे, किंतु प्रदेश की राजनीति के दो ही धुरी हैं, राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव तथा सीएम नीतीश कुमार, लालू को वाचाल नेता माना जाता है, तो नीतीश को शांत और अनुशासित, लेकिन इस बार दोनों की भूमिकाएं बदली-बदली नजर आ रही हैं, लालू चुप हैं और नीतीश बोल रहे हैं, वो जदयू राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में खूब बोले, बाद में कई तरह के कयासों पर भी स्थिति स्पष्ट की, जाहिर है कि परदे के पीछे सबकुछ वैसा नहीं चल रहा, जैसा बाहर दिख रहा है, सवाल ये है कि क्या नये साल में राजनीतिक हालात करवट लेंगे।
सत्ता के साथ जमीनी लाभ उठाने की कोशिश में राजद
लालू की नजरों में इस हालात के अर्थ गहरे हो सकते हैं, इसलिये राजद नेताओं को मायने मतलब समझा दिया गया है,
नये साल में बदल सकता है खेल
स्पष्ट है कि इस कारण राजद नेताओं का अचानक ही नीतीश के प्रति प्रेम उमड़ आया है, गुणगान शुरु हो चुका है, उन्हें महान बताया जा रहा है,
बंगाल विधानसभा चुनाव तक जारी रह सकता है सिलसिला
लालू के करीबियों का दावा है कि नीतीश कुमार को लेकर लालू परिवार में सब्र का सिलसिला बंगाल चुनाव तक जारी रह सकता है,
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