पश्चिम बंगाल के चुनाव में ये दो समुदाय बदल सकते हैं पूरा खेल, सबकी है नजर

पश्चिम बंगाल चुनाव में अब बस कुछ दिन और, यहां वोट बैंक साधने में सब दल लगे हुए हैं । मुस्लिम मत चर्चा में हैं, लेकिन दो और समुदाय हैं जो सबसे बड़े गेमचेंजर माने जा रहे हैं ।

New Delhi, Mar 19: देश के पांच राज्यों में एक साथ विधानसभा चुनाव हो रहे हैं, पश्चिम बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी इन सभी जगहों पर चुनावी सरगर्मियां तेज हैं, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव की हो रही है । राज्‍य में बीजेपी, टीएमसी और कांग्रेस-लेफ्ट फ्रंट के बीच कड़ा मुकाबला है । इस समय जब चुनावों के पहले चरण में 10 दिन का भी समय नहीं बचा है, सभी दल वोटों का गणित साधने में जुटे हैं । लेकिन कुछ समुदाय ऐसे हैं जिन पर सबकी निगाहें हैं ।

वोटों का गणित
पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा बातें मुस्लिम मतों को लेकर ही होती रही हैं, जिनकी संख्या राज्य में लगभग 30 प्रतिशत के आस-पास है । लेकिन इनके अलावा भी दो समुदाय हैं, जिनके वोट पर राजनीतिक पार्टियों की नजरें टिकी है । ये दो समुदाय हैं, दलित और आदिवासी । 2011 की जनगणना के मुताबिक राज्य में आदिवासी समुदाय की जनसंख्या तकरीबन 53 लाख है, ये राज्य की कुल आबादी का करीब 5.8 प्रतिशत है । बात करें दलित समुदाय की तो, इनकी जनसंख्या 2.14 करोड़ है । यानी कुल आबादी का करीब 24 प्रतिशत हिस्सा है ।

30 फीसदी दलित-मुस्लिम
आंकड़ों के मुताबिक यानी पूरे राज्य की आबादी का करीब 30 फीसदी हिस्सा ये दोनों समुदाय हैं । राज्य में आदिवासी आबादी ज्यादातर दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी, अलीपुरद्वार, दक्षिणी दिनाजपुर, पश्चिमी मिदनापुर, बांकुड़ा और पुरुलिया में है, आदिवासी समुदाय के लिए 16 सीटें रिजर्व हैं । वहीं दलित समुदाय राज्य की करीब 68 सीटों पर सघन रूप से फैला हुआ है । इसके अलावा भी अन्य सीटों पर उसका छिटपुट प्रभाव है ।

लोकसभा चुनाव में बीजेपी के साथ
हिंदुस्तान टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक राजनीतिक एक्सपर्ट्स का मानना है कि 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी की बड़ी जीत के पीछे इन दोनों समुदाय का बड़ा हाथ था । पार्टी ने पश्चिम बंगाल की 42 लोकसभा सीटों में से 18 सीटों पर जीत हासिल की थी, जिसे अप्रत्याशित सफलता माना गया था । यही वजह है कि टीएमसी और कांग्रेस इन समुदायों को रिझाने की भरपूर कोशिशों में हैं । राजनीति के जानकारों के मुताबिक चूंकि मुस्लिम बीजेपी के मतदाता नहीं माने जाते हैं, इसीलिए बीजेपी के लिए इन समुदायों के वोट का अधिक महत्व है ।

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