New Delhi, Mar 21 : हर किसी के जीवन में अच्छा और बुरा दौर आता है, लेकिन मुश्किल समय में भी जिनके पैर डगमगाते नहीं या बहकते नहीं, एक ना एक दिन सफलता उनके कदम चूमती है, इसी कैटेगरी में टीम इंडिया के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली भी आते हैं, करियर के बुरे दौर से गुजरकर टीम में वापसी करना, भारतीय टीम की कमान संभालना और दुनिया के सबसे धनी क्रिकेट बोर्ड का अध्यक्ष बनना उनकी सफलता की ही निशानी है।
वापसी के लिये मेहनत
एक समय था, जब टीम इंडिया से ड्रॉप होने के बाद उन्हें वापसी के लिये बहुत कड़ी मेहनत करनी पड़ी, वो सिर्फ बल्लेबाजी की ही नहीं बल्कि गेंदबाजी की भी प्रैक्टिस करते थे, गांगुली ने गौरव कपूर के टॉक शो में बताया था कि
ऑस्ट्रेलिया दौरा
गौरव कपूर ने दादा से 1992 में ऑस्ट्रेलिया के पहले टूर की कहानी पूछी, तो गांगुली ने कहा चांस भी नहीं मिला और मुश्किल भी बहुत था, थोड़ा सा समय लगता है अभ्यस्त होने में, वो ऑस्ट्रेलिया अलग ऑस्ट्रेलिया था,
17 साल का था
गांगुली ने कहा, तब 17 साल का था, मेरा गेम बना भी नहीं उसके लिये, तो फिर लौट लिये घर, कोई समस्या नहीं, जाकर फर्स्ट क्लास खेलते रहे, मजा आता था, हमारी टीम बहुत बढिया थी, गौरव ने बीच में टोकते हुए पूछा,
नेट बॉलर बन गया
सौरव गांगुली ने कहा, बस यही था कि खेलते रहो, मैं तो नेट बॉलर बन गया था, सेलेक्ट हुए थे बल्लेबाज के तौर पर और बन गये थे गेंदबाज, एक समय ऐसा था कि ड्रेसिंग रुम से सिर्फ बूट ही उठाकर लाता था,
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